कोलकाता: बंगाल को तीन देशों से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने यहां भी एशियन हाइवे का विस्तार करने की कवायद शुरू कर दी है. उत्तर बंगाल के जिलों को अब सड़क मार्ग से बांग्लादेश, भूटान व नेपाल से जोड़ा जायेगा. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी सौंप दिया गया है. इस योजना पर करीब 1434 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. यह प्रोजेक्ट, एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के साउथ एशिया सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन प्रोग्राम का ही एक हिस्सा है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों एक बैठक की थी और इस योजना को प्राथमिक मंजूरी मिल चुकी है.
यह प्रोजेक्ट क्रियान्वित होने से साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ रिजनल को-ऑपरेशन (सार्क) देशों में आर्थिक विकास को और गति मिलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट जल्द ही इस योजना को मंजूरी दे देगी. इस योजना के तहत दो एशियन हाइवे का निर्माण किया जायेगा.
एशियन हाइवे : पहला हाइवे सिलीगुड़ी के पास पानीटंकी के पास भारत – नेपाल सीमा पर फुलबाड़ी में बनाया जायेगा और यह भारत-बांग्लादेश सीमा तक जायेगा. इस हाइवे की लंबाई 33 किमी होगी, जिसमें 11 किमी चार लेन व बाकी दो लेन का हाइवे होगा. इस योजना पर 602 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.
दूसरा हाइवे : एशियन हाइवे 48, भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित कूचबिहार जिले के चंग्रबंधा को जलपाईगुड़ी-भूटान सीमा पर स्थित जयगांव को जोड़ेगा. इस हाइवे की लंबाई 110 किमी होगी, इसमें से 18 किमी का रास्ता राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अंतर्गत होगा और बाकी रास्ते का निर्माण राज्य के लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जायेगा. इस योजना पर करीब 832 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इस तरह दोनों हाइवे के निर्माण पर कुल 1434 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है और एडीबी इस योजना के लिए फंड मुहैया करायेगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना पूरी होने के बाद इस क्षेत्र की आर्थिक विकास में काफी तेजी आयेगी. इस संबंध में उत्तर बंगाल विकास मामलों के मंत्री गौतम देव ने कहा कि जहां पर भारतीय सीमा समाप्त होगी, उन सभी स्थानों पर कस्टम चेक पोस्ट बनाये जायेंगे, ताकि यहां से आने-जानेवाले पर बराबर नजर रखी जा सके. इससे अन्य देश के छात्र भी यहां पढ़ाई करने के लिए आयेंगे और यहां मेडिकल टूरिज्म के रास्ते भी साफ होंगे.
इस संबंध में यादवपुर यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर ओम प्रकाश मिश्र ने कहा कि यह परियोजना आने-वाले दशकों में इस क्षेत्र के आर्थिक उन्नति के लिए काफी मदद साबित होगी. बंगाल पूर्ण रूप से गेट वे ऑफ एशिया के रूप में परिणित हो जायेगा.