ममता ने कोर्ट के पाले में डाली गेंद
कोलकाता/नारायणगढ़ : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारधा चिटफंड घोटाले की जांच का मामला केंद्र के पाले में डाल दिया है. विपक्ष की ओर से सीबीआइ जांच की मांग के बीच मुख्यमंत्री ने पश्चिम मेदिनीपुर के नारायणगढ़ में एक चुनावी सभा के दौरान कहा कि यदि अदालत चाहेगी तो सारधा चिटफंड कंपनी मामले की जांच सीबीआइ द्वारा करायी जा सकती है.
ममता ने कहा कि सीबीआइ जांच के लिए शोर मचाया जा रहा है. इससे उन्हें क्या फर्क पड़ता है. यदि अदालत चाहेगी तो मामले की सीबीआइ जांच होगी. उन्होंने कहा कि सीबीआइ जांच वाले 2010 के ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गये थे और 2007 में नंदीग्राम गोलीबारी वाले मामलों में अभी न्याय होना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सारधा मामले की जांच की गयी. उन्होंने समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन की दो अन्य लोगों के साथ पिछले साल अप्रैल में कश्मीर से गिरफ्तारी और पिछले साल नवंबर में पार्टी के राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष की गिरफ्तारी का हवाला दिया.
ओड़िशा और त्रिपुरा सीबीआइ जांच को राजी
कोलकाता. सारधा मामले की सीबीआइ जांच के लिए ओड़िशा व त्रिपुरा सरकार के राजी होने के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर आपत्ति जतायी है. राज्य सरकार के वकीलों ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया है. उनकी अर्जी है कि बंगाल में सारधा मामले की जांच एसआइटी के हाथों में ही रहे. ओड़िशा के चिटफंड संबंधी मामले की सुनवाई होने पर भी सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच की ओर से कोई फैसला नहीं सुनाया गया. हालांकि न्यायाधीश सी नागप्पन व न्यायाधीश टीएस ठाकुर की खंडपीठ ने कहा है कि इसके बाद पश्चिम बंगाल व ओड़िशा सरकार को अपना मत लिखित रूप से बताना होगा.
सारधा मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को दिया जायेगा या नहीं, यह जानने के लिए लोगों की निगाहें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई थी. इसी बेंच में पश्चिम बंगाल के याचिकाकर्ताओं के मामले की सुनवाई गत 16 अप्रैल को पूरी हो गयी है. उसी दिन अदालत ने बताया था कि ओड़िशा मामले की सुनवाई पूरी होने पर सारधा मामले पर फैसला सुनाया जायेगा.