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#UP : चमड़ा उद्योग बंद होने से कानपुर के दो लाख मजदूर हो जायेंगे बेरोजगार

कानपुर : कानपुर के चमड़ा उद्योग को शहर से बाहर ले जाने की मीडिया की खबरों से शहर के करीब 3000 करोड़ का एक्सपोर्ट करने वाले टेनरी मालिकों और इनमें काम करने वाले करीब दो लाख मजदूरों में काफी बेचैनी का माहौल है. गंगा में प्रदूषण रोकने के संबंध में चमड़े का काम करने वाली […]

कानपुर : कानपुर के चमड़ा उद्योग को शहर से बाहर ले जाने की मीडिया की खबरों से शहर के करीब 3000 करोड़ का एक्सपोर्ट करने वाले टेनरी मालिकों और इनमें काम करने वाले करीब दो लाख मजदूरों में काफी बेचैनी का माहौल है. गंगा में प्रदूषण रोकने के संबंध में चमड़े का काम करने वाली टेनरियों के लोगों का कहना है कि नदी में प्रदूषण के लिए केवल टेनरियों को ही निशाने पर नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि हरिद्वार से लेकर कोलकाता तक केवल टेनरियां ही गंगा नदी को गंदा नहीं कर रही है बल्कि लाखों अन्य फैक्ट्रियां भी अपना पानी गंगा में डाल रही है.

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कानपुर शहर में 402 टेनरियां रजिस्टर्ड है जिसमें केवल 268 टेनरियां चल रही है तथा 134 टेनरियां मानक पूरे न कर पाने के कारण बंद है. अकेले कानपुर से करीब 3000 करोड़ रुपये मूल्य के चमड़ा उत्पादों का निर्यात दूसरे देशों में करने वाले और 9200 करोड़ का टर्नओवर सालाना करने वाले टेनरी मालिकों का कहना है कि टेनरियों को बंद करने से लगे करीब दो लाख मजदूर तथा उनके परिवार के पांच लाख लोग प्रभावित होंगे और चमड़ा निर्माताओं को करोड़ों का नुकसान होगा.

यूपी स्माल टेनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नैयर जमाल ने बताया कि कानपुर के चमड़ा उद्योग में करीब दो लाख मजदूर काम करते है जिसमें से करीब 80 फीसदी मजदूर दलित है बाकी मुस्लिम. वह कहते है कि चमड़े की धुलाई सफाई उनके रखरखाव का काम केवल दलित और मुस्लिम मजदूर ही करते है. अन्य धर्मो के लोग इन कार्यो से दूर रहते हैं उनकी शिकायत है कि शिकंजा केवल टेनरियों पर कसा जा रहा है क्योंकि टेनरियां बदनाम हैं, जबकि हरिद्वार से कोलकाता तक सैकड़ों की संख्या में ऐसे अनेक उद्योगों की फैक्ट्रिया है जो अपना गंदा पानी गंगा में बहाती हैं.

जमाल कहते है कि गंगा पूरी तरह से तभी साफ हो पायेगी जब हरिद्वार से कोलकाता तक गंगा किनारे लगे सभी उदयोगो को बंद किया जायें न कि केवल टेनरियों को. इस मुद्दे पर सुपर टेनरी के इमरान सिद्दीकी ने कहा कि टेनरी मालिकों की टेनरी तो सभी को दिखती है लेकिन जो गंगा में सैकड़ों शव बह कर आते हैं उस पर किसी का ध्यान नहीं जाता. उन्होंने कहा, ‘पहले उस पर रोक लगायी जाये. उसके बाद टेनरियों की शिफ्टिंग कानपुर से कही और की जायें. वह कहते है कि कन्नौज, फर्रुखाबाद और उन्नाव के अन्य उद्योगों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जाता है जो गंगा नदी में प्रदूषित जल बहाते हैं.

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चर्म निर्यात परिषद से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रदेश के चमड़ा उद्योग में सबसे बड़ा हिस्सा कानपुर का रहा है अगर यहां टेनरियां बंद कर दी गयी तो प्रदेश को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान तो होगा ही साथ ही साथ एक बड़ा उद्योग कानपुर से उजड़ जायेगा.

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