लखनऊ : जनता दल यूनाइटेड :जदयू: के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश में नये सियासी समीकरणों का संकेत देते हुए आज कहा कि देश में दलितों को उनका हक दिलाने के अभी बहुत लड़ाई लड़ना बाकी है और मौका मिला तो वह बीएस-4 के साथ मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे. नीतीश ने हाल में बसपा से अलग हुए बीएस-4 अध्यक्ष आर. के. चौधरी द्वारा स्थानीय बिजली पासी किले में आयोजित एक जनसभा में कहा कि बिहार में उनकी सरकार ने महादलितों के लिये आरक्षण में आरक्षण की व्यवस्था लागू करके हर दलित को उसका हक दिलाने की कोशिश की है, लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है.
अभी बहुत लड़ाई बाकी है-नीतीश
जदयू अध्यक्ष ने कहा कि अभी न्यायपालिका समेत अनेक क्षेत्रों में दलित वर्ग के लोग अपने अधिकार से वंचित हैं. अभी बहुत लडाई बाकी है. प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जदयू द्वारा गठबंधन बनाये जाने की अटकलों के बीच, नीतीश ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक ऐसा संगठन खड़ा हो, जो अपने स्वार्थ के बजाय जनता के स्वार्थ के लिये काम करे. चौधरी जी जब तक सबको न्याय ना मिल जाये, तब तक संघर्ष करिये. हम आपके साथ हैं, हम मिलकर आगे बढेंगे. अवसर मिला तो हम मिलकर काम करेंगे. दलितों के प्रति चिंता को राम मनोहर लोहिया और भीमराव अम्बेडकर की साझा भावना करार देते उन्होंने कहा कि वह लोहिया के विचारों को मानते हैं.
बसपा के बागी नेता की रैली में पहुंचे थे नीतीश
अम्बेडकर और लोहिया के बीच वैचारिक मेल था. दोनों ही समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक को अधिकार दिलाने के पक्षधर थे. नीतीश ने कहा कि चौधरी ने बसपा छोड़ने से पहले हुई एक मुलाकात के दौरान उन्हें आज हुई रैली का न्यौता दिया था. उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने पहली बार अपने राज्य में आरक्षण का प्रावधान किया था. आज संविधान में आरक्षण की जो व्यवस्था है उनकी प्रेरणा इसी मिसाल से मिली थी.
शराबबंदी लागू करने की अपील
नीतीश ने बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर उठाते हुए कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लोहिया, जय प्रकाश नारायण, भीमराव अम्बेडकर, संत रविदास और कबीरदास की बात पर गौर करके इस राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करें. उन्होंने कहा कि संविधान में भी लिखा है कि सभी राज्य अपने यहां मादक पदार्थों का सेवन बंद करायें. जिस चीज से समाज नष्ट होता हो, उससे मिलने वाले राजस्व का कोई मतलब नहीं है. बिहार में लोग 10 हजार करोड रुपये की शराब पी लेते थे. शराबबंदी लागू होने के बाद उसी धन का सदुपयोग हो रहा है. उत्तर प्रदेश में 25 हजार करोड रुपये की शराब पी जाती है. सोचिये, इस राज्य में शराबबंदी होने पर कितना धन बचेगा.