लखनऊ : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाओं में हनुमान जी की जाति को लेकर जो राजनीति शुरू हुई वो थमने का नाम नहीं ले रहा है. चुनाव प्रचार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हनुमान जी को दलित बताया गया था. उसके बाद लगातार हनुमान जी की नयी-नयी जाति बतायी जा रही है. उत्तर प्रदेश के भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब ने अब हुनमान जी को मुसलमान बता दिया है.
उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसलिए मुसलमानों के जो नाम होते हैं – रहमान, रमजान वो करीब-करीब उन्हीं पर रखे जाते हैं. दरअसल राजस्थान विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने अलवर जिले के मालाखेड़ा की एक सभा में कहा था कि बजरंगबली एक ऐसे भगवान हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं. हालांकि इस बयान के बाद योगी की खूब आलोचना हुई थी.
इधर गुरुवार को हनुमान जी और सीता माता के बारे में टिप्पणियां करने पर उप्र विधानपरिषद में अफसोस जाहिर किया गया. इसको लेकर एक प्रस्ताव भी पेश किया गया. हालांकि, यह स्वीकार नहीं हुआ.
#WATCH: BJP MLC Bukkal Nawab says "Hamara man'na hai Hanuman ji Muslaman theyy, isliye Musalmanon ke andar jo naam rakha jata hai Rehman, Ramzan, Farman, Zishan, Qurban jitne bhi naam rakhe jaate hain wo karib karib unhi par rakhe jaate hain." pic.twitter.com/1CoBIl4fPv
— ANI (@ANI) December 20, 2018
सपा के विधान परिषद सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने शून्यकाल के दौरान यह प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन भारत के संविधान में उल्लिखित संवैधानिक पदों पर आसीन जनप्रतिनिधियों द्वारा धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों तथा आराध्य देवी-देवताओं के बारे में जातिगत, क्षेत्रीयता सम्बन्धी असंतुलित और अविवेकपूर्ण बयानों को अनुचित और अवांछित मानता है.
उन्होंने सदन में मौजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गत 27 और 28 नवम्बर को राजस्थान में हनुमान जी के बारे में की गई गयी कथित टिप्पणियों की ओर इशारा करते हुए कहा, जिम्मेदार संवैधानिक पद पर आसीन जनप्रतिनिधि द्वारा बजरंग बली (हनुमान जी) के बारे में टिप्पणी की गयी, जिसमें उन्हें वनवासी, दलित और वंचित आदि कहा गया.
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इसके उलट भाजपा के एक अन्य नेता ने हनुमान जी को ‘आर्य‘ बताया. अभी कुछ ही देर पहले इसी सदन में मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने हनुमान जी को ‘जाट‘ कहा।’ प्रकाश ने नेता सदन एवं उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा द्वारा पूर्व में की गयी एक टिप्पणी का भी जिक्र करते हुए कहा, एक अन्य नेता ने सीता जी के बारे में अनुमान लगाते हुए कहा कि वह ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ (परखनली शिशु) थी.
जनक की पुत्री और भगवान राम की पत्नी के बारे में यह अनुमान लगाया गया. कोई अनुमान लगाएगा, कोई हनुमान जी को जातियों में बांटेगा. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15 में प्रावधान किया गया है कि सरकार किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा.
लेकिन यहां तो भारत संघ के एक राज्य के संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत, जातिगत आधार पर भारत के देवी-देवताओं का वर्गीकरण किया जा रहा है. इससे धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात हुआ है. यह सदन इस तरह के बयानों पर अफसोस जाहिर करता है.
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प्रकाश ने यह भी कहा कि यह सदन प्रयागराज के उन सपा कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करता है, जिन्होंने गत दो दिसम्बर को हनुमान जी को जातिगत सीमा में बांधने के विरुद्ध लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति की थी, लेकिन उन्हें जेल भेज दिया गया था. उन्होंने कहा कि सदन का मत है कि संवैधानिक पद पर बैठे जनप्रतिनिधियों को देवी-देवताओं के बारे में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिये और ना ही कोई अनुमान लगाना चाहिये, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो.
इस पर, शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने भगवान महावीर के बारे में अपने वक्तव्य को तोड़ मरोड़कर पेश किए जाने पर अपनी बात स्पष्ट की है. उन्होंने कहा, मैं इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हूं. इसके बाद, सभापति रमेश यादव ने इस प्रस्ताव पर व्यवस्था देते हुए कहा कि यह प्रस्ताव अत्यंत संवेदनशील है, लिहाजा वह इसे स्वीकार नहीं करते हैं.
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