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यूपी : लोस चुनाव के लिए BJP की रणनीति, ब्राह्मण-ठाकुर-दलित समीकरण पर जोर

नयी दिल्ली : यूपी की सियासी जमीन पर भाजपा का राजनीतिक प्रयोग जारी है. 2019 लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. कल होने वाले कैबिनेट फेरबदल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति स्पष्ट रूप से दिख जायेगी. उधर यूपी […]

नयी दिल्ली : यूपी की सियासी जमीन पर भाजपा का राजनीतिक प्रयोग जारी है. 2019 लोकसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. कल होने वाले कैबिनेट फेरबदल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति स्पष्ट रूप से दिख जायेगी. उधर यूपी के मथुरा स्थित वृंदावन के केशव धाम में चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक की बैठक में योगी आदित्यनाथ भी शामिल होने वाले हैं. इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी भी शामिल हुए.

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गौरतलब है कि यूपी चुनाव में प्रचंड जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने ठाकुर वोटों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली. माना जा रहा था कि भाजपा के ब्राह्णण वोटर्स को भाजपा खोना नहीं चाहती है. इसके मद्देनजर महेंद्रनाथ पाण्डेय को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष थे. चंदौली के सांसद महेंद्र नाथ पांडेय को अध्यक्ष बनाकर यूपी में लोकसभा चुनाव की सियासी जमीन तैयार कर ली है.

उत्तरप्रदेश चुनाव के मद्देनजर केंद्र से दो ब्राह्मण चेहरों ने इस्तीफा दिया है. संजीव बालियान का भी इस्तीफा हुआ है. ऐसे में इस बात की संभावना है कि संतुलन साधने के मद्देनजर पिछड़ी जाति के कुछ चेहरों को यूपी से केंद्र में मंत्री बनाया जाये.

ठाकुर मुख्यमंत्री, ब्राह्णण प्रदेश अध्यक्ष और दलित राष्ट्रपति
भाजपा जिन वर्ग के वोटों पर अपना दांव खेलना चाहती है. उनमें ब्राह्णण, ठाकुर और दलित हैं. यूपी के ओबीसी के कुछ वर्ग भी भाजपा की नजर है. ब्राह्मण और ठाकुर बीजेपी के पारंपरिक वोटर्स रहे हैं. लिहाजा वह किसी भी कीमत पर इसे खोना नहीं चाहती है. वहीं दलित समुदाय के कुछ जातियों ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के समर्थन में जमकर वोटिंग की है. यह नया वर्ग है जो भाजपा से जुड़ा है. बीजेपी ने दलित वोटों को बांधे रखने के लिए रामनाथ कोविन्द को राष्ट्रपति बनाया.
विपक्षी दलों को कोई मौका नहीं देना चाहते हैं शाह और मोदी
यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है. चुनावी लिहाज से यह बेहद अहम राज्य है. पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में अमित शाह को यूपी का चुनाव प्रभारी बनाया गया था. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बनारस से चुनाव मैदान में खड़े थे. 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा किसी भी कीमत पर विपक्षी दलों को मौका नहीं देना चाहती है. राजनाथ सिंह के गृहमंत्री बनाये जाने के बाद जब अमित शाह को अध्यक्ष बनाया गया था तो अमित शाह ने पहले ही भाषण में कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संकेत दे दिये थे कि हमारे लिए एक – एक चुनाव अहम है. यहां तक कि लोकसभा से लेकर वार्ड पार्षद तक के चुनाव में कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत लगाने की हिदायत दी थी.
विपक्ष सुस्त, लोकसभा चुनाव को लेकर नहीं दिख रही है तैयारी
एक और भाजपा जहां लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए अभी से जोर लगा रही है वहीं विपक्षी खेमे में खास सक्रियता नहीं दिखाई पड़ रही है. केंद्र के खिलाफसिर्फ लालू प्रसाद यादव व ममता बनर्जी आक्रमक मूड में नजर आते हैं. वहीं शरद यादव के बगावती तेवर के बाद ऐसे कयास लगाया जा रहा था कि विपक्ष एक बार फिर से गोलबंद हो सकता है. अहमद पटेल की राज्यसभा चुनाव में जीत ने भी कांग्रेस पार्टी में भी थोड़े दिनों के लिए उत्साह रहा लेकिन बीजेपी से लड़ने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनी.

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