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कोरोना मरीज की मौत के बाद प्राइवेट अस्पताल ने परिवार को थमाया 14 लाख का बिल, स्टाम्प पेपर पर लिखवाई गारंटी, जानें मामला…

नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होने के बाद उसके परिवार को लाखों का बिल थमाने का मामला सामने आया है. दरअसल नोएडा के एक निजी अस्पताल में कोरोना से संक्रमित नोएडा के एक निवासी की इलाज के दौरान अस्पताल में ही मौत हो गई. परिवारजनों के अनुसार, मरीज 7 जून को अस्पताल में भर्ती हुए थे. जहां 15 दिनों तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत होने के बाद उसके परिवार को लाखों का बिल थमाने का मामला सामने आया है. दरअसल नोएडा के एक निजी अस्पताल में कोरोना से संक्रमित नोएडा के एक निवासी की इलाज के दौरान अस्पताल में ही मौत हो गई. परिवारजनों के अनुसार, मरीज 7 जून को अस्पताल में भर्ती हुए थे. जहां 15 दिनों तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.

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10 रूपए के कानूनी स्टाम्प पर आश्वासन लिखवाया 

मृतक के परिवारजनों का आरोप है कि अस्पताल ने उन्हें मनमाना बिल थमाया है. मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल ने मृतक के शव को ले जाने से पहले उनके परिवारजनों को कुल 14 लाख से अधिक का बिल थमा दिया.और इसे चुकता करने के बाद ही शव ले जाने की बात कही. परिवारजनों ने इस मोटे रकम को चुकता करने में असमर्थता जताई. जिसके बाद इंश्योरेंस के 4 लाख रूपए एडजस्ट किए जाने के बाद भी 10 लाख से अधिक की राशि शेष बची. परिवारजनों ने 25000 रुपए ही जमा कर पाने की बात कही. जिसके बाद उनसे 10 रूपए के कानूनी स्टाम्प पर आश्वासन लिखाने के बाद ही शव को परिवार के हवाले किया गया.

जिला प्रशासन ने इस मामले में हस्तक्षेप किया

वहीं इस मामले का सामने आने के बाद गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है. जिलाधिकारी ने मामले की जांच करने की बात कही है. उनके अनुसार, सरकार ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों को अधिकतम राशि का पैमाना भी तय किया है. जिलाधिकारी ने बताया कि यहां आइसीयू में दस हजार और वेंटिलेटर के लिए अतिरिक्त पांच हजार रुपए का शुल्क तय किया गया है.

अस्पताल प्रशासन का दावा 

वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज के परिजनों को मरीज की हालत और आने वाले खर्च दोनों से पहले ही अवगत करा दिया गया था.अस्पताल का दावा है कि मामले की सारी जानकारी और डिटेल CMO को भेज दिया गया है. जबकि दावा यह भी किया जा रहा है कि इलाज के नाम पर कोई गलत शुल्क नहीं लिया गया है.

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