Bareilly News: सपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम खां की शुक्रवार सुबह सीतापुर जेल से रिहाई हो गई. उनकी रिहाई के बाद सीतापुर से लेकर शाहजहांपुर, बरेली और रामपुर तक जगह-जगह स्वागत किया गया तो,वहीं उनके गृह जनपद रामपुर में जश्न का माहौल है. मगर रिहाई के साथ ही तमाम सवाल भी खड़े होने लगे हैं, जो नगर निकाय और लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हर किसी के जेहन में है.
एक टीस तो बनी रहेगी
मुहम्मद आजम खां की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराजगी जगजाहिर है. उनके मीडिया प्रभारी पिछले दिनों रामपुर में सपा के खिलाफ बयान दे चुके हैं. इसके साथ ही बदायूं शहर से पूर्व विधायक आबिद खां की तरह तमाम करीबियों को सपा प्रमुख ने टिकट नहीं दिएं. सपा शिष्टमंडल से आजम खां ने मुलाकात भी नहीं की. मुहम्मद आजम खां के करीबी, समर्थक और मुस्लिमों के दिल में भी सपा के उनके साथ न खड़े होने को लेकर टीस है. उनका कहना है की मुहम्मद आजम सपा के संस्थापक सदस्य हैं. मगर, इसके बाद भी पार्टी उनके साथ खड़ी नहीं हुई. कोई आंदोलन नहीं किया गया.
रिहाई कराने में नहीं दिखाई दिलचस्पी
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक से बेहतर रिश्ते हैं. विपक्ष के नेताओं में पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ मुलायम सिंह यादव के परिवार की शादी में ही शामिल हुए हैं. इसके अलावा किसी भी विपक्ष के नेता के परिवार की शादी में शामिल नहीं हुए. मगर इसके बाद भी आजम की रिहाई के लिए मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने पीएम-सीएम से लेकर भाजपा नेताओं से बात नहीं की. न्यायालय तक में कोई कोशिश नहीं की. यही सब बातें मुसलमानों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इसी को लेकर मुसलमानों में भी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद सपा के प्रति नाराजगी बढ़ी है. मगर अब जेल से आने के बाद हर किसी के निगाह सपा से नाराज चल रहे आजम पर लगी है. वह सपा से खफा रहेंगे या फिर सपा के साथ पहले की तरह आ जाएंगे.
अखिलेश ने किया ट्वीट
आजम की रिहाई के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है. इसमें जमानत और रिहा होने पर स्वागत के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय की तारीफ की है. उन्होंने लिखा है, 'झूठ के लम्हें होते हैं, सदियां नहीं.'
शिवपाल फिर साथ में
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पिछले दिनों आजम खान से जेल में मिले थे. शुक्रवार को फिर रिहाई के वक्त साथ खड़े दिखे. इससे मुहम्मद आजम के नया दल बनाकर शिवपाल यादव के साथ एक नया मोर्चा बनाने की चर्चा है.
सपा के पूर्व विधायक के घर नाश्ता
जेल से रिहाई के बाद आजम खां ने परिवार के साथ सपा के पूर्व विधायक अनूप गुप्ता के घर जाकर नाश्ता किया है.इससे सपा के प्रति नाराजगी कम नजर आ रही है. मोहाली से पूर्व विधायक अनूप गुप्ता सपा नेता ओम प्रकाश गुप्ता के पुत्र हैं. वह मिश्रिख और मोहाली से दो बार विधायक बन चुके हैं.
मुसलमानों को कांग्रेस के साथ जाने की उम्मीद
विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम मतदाताओं ने बड़ी संख्या में सपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान किया था. मगर, उनका आरोप है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद मेहनत नहीं की. उन्होंने भाजपा से अपनी संपत्तियों को बचाने के लिए डील कर ली.मगर, मुसलमानों की बलि का बकरा बना दिया.जिसके चलते एक बार फिर भाजपा सरकार आई है. ईमानदारी के साथ सिर्फ कांग्रेस भाजपा से लड़ रही है. इसलिए 2024 के चुनाव में मुसलमानों की मंशा कांग्रेस के साथ जाने की नजर आ रही है. इसलिए उनकी ख्वाहिश है कि आजम खां कांग्रेस के ही साथ जाएं. हालांकि जेल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम ने सपा नेता से मुलाकात की थी. इसलिए और भी इन चर्चाओं को बल मिल रहा है.
बसपा प्रमुख भी साधने की कोशिश में
पूर्व सीएम मायावती ने भी आजम खान के सहारे मुसलमानों की साधने की कोशिश की थी. लगातार 89 मुकदमें कायम होने के साथ ही हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी मुकदमा कायम होने पर मायावती ने ट्वीट किया था.इसकी मुसलमानों ने सराहना की थी.बसपा का एक धड़ा भी आजम को साथ लाने में जुटा है.
नया दल बनाने की चर्चा
भाजपा के इशारे पर नया दल बनाने की चर्चा काफी है. सियासी गलियारों के साथ ही मुसलमानों में यह चर्चा काफी तेजी से फैल रही है कि भाजपा 2024 के चुनाव से पहले मुस्लिम वोट का बंटवारा चाहती है. इसीलिए मुहम्मद आजम खां की रिहाई नया दल बनाने के लिए की गई है.यह नया दल लोकसभा चुनाव 2024 में शिवपाल सिंह यादव के साथ मिलकर मुस्लिम मतदाताओं का बंटवारा कर भाजपा को फायदा पहुचायेगा.हालांकि, यह सिर्फ चर्चा है.इन सभी कयास पर मुहम्मद आजम खां के फैसले के बाद ही तय होगा.
1980 में जीता पहला चुनाव
मोहम्मद आजम खान ने 1976 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से छात्र राजनीति शुरू की थी. इसके बाद 1980 में पहला विधानसभा चुनाव जनता पार्टी सेकुलर जीते. 1985 में लोक दल के टिकट पर, 1989 में जनता दल के टिकट पर, 1991 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1992 में सपा का दामन थाम लिया. 1993 में चुनाव जीते, लेकिन 1996 के विधानसभा चुनाव में अफरोज खान ने उन्हें हरा दिया. जिसके चलते राज्यसभा भेजा गया.इसी दौरान उनकी मुस्लिम नेता के रूप में पहचान बन गई. वह 10वी बार विधायक हैं, तो वहीं पांच बार मंत्री रह चुके हैं.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद