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सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बसपा प्रेम से सपा में कलह, विधायकों में जुबानी जंग, जानें सांसद का प्लान…

सपा विधायक इकबाल महमूद ने अपनी ही पार्टी के सांसद पर हमला करते हुए कहा है कि जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं. इसके जवाब में सांसद बर्क के पोते एवं सपा विधायक जियाउररहमान ने इकबाल महमूद पर सियासी हमला बोला है.

Bareilly: समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बसपा सुप्रीमो मायावती की तारीफ करने के बाद पार्टी में कलह तेज हो गई है. दोनों पक्षों में जुबानी जंग तेज होती जा रही है. वहीं कहा जा रहा है कि देश की 17वीं लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने मायावती की तारीफ में कसीदे यू ही नहीं पढ़े हैं. इसके सियासी मायने हैं, जो वक्त आने पर लोगों की समझ में आएगा. शफीकुर्रहमान बर्क संभल से पांचवी बार सदन में हैं. वह चार बार विधायक भी रहे. वह विधानसभा के 10 और लोकसभा के 6 चुनाव लड़ चुके हैं.

1967 में मुलायम के साथ शुरू हुआ सियासी सफर

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ 1967 में सियासी सफर शुरू करने वाले सांसद शफीकुर्रहमान बर्क सियासत के काफी माहिर खिलाड़ी हैं. 11 जुलाई 1930 को जन्म लेने वाले सांसद पहला विधानसभा चुनाव हार गए थे. मगर, इसके बाद कई चुनाव जीते. वह लोकदल, सपा और बसपा के साथ कई सियासी पार्टियों से सियासत कर चुके हैं. उन्होंने सप्ताह भर पहले ही बसपा प्रमुख मायावती की तारीफ की थी. इसके बाद से सपा में कलह शुरू हो गया है.

इकबाल महमूद ने बोला हमला, बर्क के पोते ने किया पलटवार

सपा विधायक इकबाल महमूद ने अपनी ही पार्टी के सांसद पर हमला करते हुए कहा है कि जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं. इसके जवाब में सांसद बर्क के पोते एवं सपा विधायक जियाउर्रहमान ने इकबाल महमूद पर सियासी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बर्क साहब के बारे में बोलने से पहले इकबाल महमूद को गिरेबान में झांक लेना चाहिए. उन्हें दुनिया का होश नहीं रहता. क्योंकि, वह किसी दूसरी चीज के शौकीन हैं. उसका मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं.

बसपा में जाने का इरादा नहीं

उन्होंने इकबाल महमूद को अपने दिमाग का इलाज कराने तक की सलाह दे डाली. उन्होंने कहा कि मायावती की तारीफ करना गलत नहीं है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी जन्मदिन पर बधाई दी थी. हालांकि, उन्होंने बसपा में जाने का कोई इरादा नहीं होने की बात कही है. मगर, शफीकुर्रहमान बर्क के बयान के बाद चर्चाएं शुरू हो गई हैं. वह वर्ष 2009 का चुनाव बसपा से लड़कर लंबे अंतर से जीते थे. मगर, 2014 लोकसभा चुनाव सपा से लड़े थे. बसपा प्रत्याशी के कारण मात्र 5000 वोटों से हार गए थे. 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्यपाल सैनी को 360242, शफीकुर्रहमान बर्क को 355068 और बसपा प्रत्याशी को 252640 वोट मिले थे.

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यह है संभल लोकसभा का सियासी गणित

संभल लोकसभा क्षेत्र में करीब 17 लाख मतदाता हैं. इसमें 9 लाख मुस्लिम, 3.50 लाख एससी, 1.50 लाख यादव, 1.50 लाख सैनी, 1 लाख ठाकुर, 90 हजार जाट मतदाता हैं. मुस्लिमों के बलबूते चुनाव जीता जा सकता है. मगर, बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से नुकसान हो सकता है. बसपा के सिंबल पर शफीकुर्रहमान बर्क के लड़ने से मुस्लिम, और दलित वोट के सहारे लंबे अंतर से जीत दर्ज की जा सकती हैं.

आजम के नजदीक हैं सांसद बर्क

सांसद शफीकुर्रहमान को सपा नेता मुहम्मद आजम खां का करीबी माना जाता है.आजम खां पार्टी से खफा बताए जा रहे हैं.इस वजह से वेस्ट यूपी का मुस्लिम मतदाता भी सपा से नाराज़ हैं. इन्हीं समीकरणों का ख्याल रखकर सांसद के मायावती की तारीफ के बयान को देखा जा रहा है.

रिपोर्ट मुहम्मद साजिद, बरेली

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