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आजम ने कहा, अय्याशी और फिजूलखर्ची नहीं अध्‍ययन करने गया था विदेश

लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगे के प्रभावित लोगों को हो रही कठिनाईयों के दौरान प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों के 17 सदस्यीय दल के पांच देशों के अध्ययन भ्रमण को लेकर की गयी आलोचना पर उप्र के वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने कहा कि इसके पीछे मीडिया की मिलीभगत से फासीवादी ताकतों की साजिश थी. पांच […]

लखनऊ : मुजफ्फरनगर दंगे के प्रभावित लोगों को हो रही कठिनाईयों के दौरान प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों के 17 सदस्यीय दल के पांच देशों के अध्ययन भ्रमण को लेकर की गयी आलोचना पर उप्र के वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने कहा कि इसके पीछे मीडिया की मिलीभगत से फासीवादी ताकतों की साजिश थी.

पांच देशों के दौरे से आज वापस लौटने पर आजम खां ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, विदेश दौरे पर गये अध्ययन दल की जिस ढंग से आलोचना की गयी और समाचार को बहुत सनसनीखेज ढंग से बनाया गया. यह सब मीडिया के सहयोग से फासीवादी ताकतों की साजिश थी और यह मुस्लिम समुदाय को कमजोर करने का भी एक प्रयास है.

आजम ने कहा, अगर मैं मुसलमान न होता और टीम का नेतृत्व नहीं कर रहा होता तो यह हंगामा नहीं होता. यह चौथा अवसर है जब मैं इस तरह के प्रतिनिधिमंडल में गया, पर आलोचना इसलिए ज्यादा हुई कि इस बार मैं प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहा था. उन्होंने कहा, प्रतिनिधिमंडल के विदेशी दौरे को लेकर जिस अंदाज में मीडिया ने अय्याशी और फिजूलखर्ची जैसे शब्दों का प्रयोग किया.

वहीं, महिलाओं की अस्मिता का नारा बुलन्द करने वाला मीडिया यह भूल गया कि हमारे प्रतिनिधिमंडल में महिला विधायक बहनों पर अय्याशी जैसे शब्दों के प्रयोग से उन्हें कितनी शर्मिंदगी हुई होगी. यह पूछे जाने पर कि जब मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित परेशानियों के दौर से गुजर रहे थे क्या ऐसे समय में विदेश भ्रमण उचित था, आजम ने विदेशी भ्रमण के औचित्य को सही ठहराते हुए कहा कि इस भ्रमण का अपना एक उद्देश्य था.

आजम खां ने कहा कि मुजफ्फनगर में स्थिति सामान्य है, कानून एवं व्यवस्था कायम है और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ पूरा मंत्रिमंडल प्रदेश में ही था और कैबिनेट की बैठकें भी हुई साथ ही साथ शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन कर रहे थे, जहां तक हमारे दौरे को लेकर आलोचना का सवाल है यह एक अध्ययन के लिए गया था.

उन्होंने कहा कि विदेशी भ्रमण को लेकर जिस ढंग से आलोचना की गयी वह उचित नहीं था, क्योंकि इस दल को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की अनुमति मिली हुई थी. भारत संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल संघ का सदस्य है और इस प्रतिनिधिमंडल को निमंत्रित किया गया था.

खां ने कहा, जिस प्रकार मीडिया और राजनैतिक दलों ने इसका विरोध किया है तो क्यों न भारत को संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल से अपनी सदस्यता वापस ले लेनी चाहिए. यह पूछे जाने पर कि मुजफ्फरगनर के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद उन्होंने दंगा प्रभावित लोगों के हाल चाल लेने के लिए वहां क्यों नहीं गये, आजम खां ने कहा कि मुजफ्फरनगर कांड को लेकर हुए स्टिंग आपरेशन में उच्चतम न्यायालय ने सात सम्मन दिये थे और ऐसे स्थिति में वह मुजफ्फरनगर जाते तो फासीवादी ताकतें वहां के माहौल को और बिगाड देती.

यह पूछे जाने पर कि अब वह मुजफ्फरनगर कब जायेंगे, उन्होंने कहा, मैं हर पल वहीं हूं. नहीं जाकर भी वहीं हूं और वहां के लोगों के बारे चिन्तित रहता हूं. यह वहां के लोग जानते भी है. आजम खां ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नेताओं को जिस प्रकार 24 घंटे निगरानी में रखकर उनकी हर बडी बात को तोड मरोड कर सस्ती टीआरपी बटोरी जा रही है.

उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों की मदद के बजाय कुछ लोगों ने कमजोर लोगों को एक हथियार के रुप से इस्तेमाल कर धर्म और जाति के नाम पर भेद पैदा करने की कोशिश की ताकि आपासी लडाई में अकलियत की ताकत बंटकर कमजोर हो और मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग किया जा सके.

उन्होंने आरोप लगाया, मुजफ्फरनगर कांड में अकलियत के हक में मेरे निजी प्रयासों और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर सिर्फ इसलिए सवाल खडे किये गये ताकि कमजोर को बांटकर उनके नये गुट बनाये जाये जिससे सपा कमजोर हो और भाजपा मजबूत हो सके.

आजम खां ने गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि देश की अकलियत ने उसे अपने सीने पर झेला है और अब भावी प्रधानमंत्री का सपना देखने वाले के पीछे कुछ मीडिया संस्थान उनकी आवाज को बुलंदी से उठा रहे है ताकि उनके शोर शराबे में अकलियत की आवाज कमजोर हो जाये.

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