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दुर्गा के निलंबन में दखल से कोर्ट का इनकार

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज उपजिलाधिकारी दुर्गा शक्ति के निलंबन में दखल देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने नूतन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चूंकि उन्होंने खुद अपने निलंबन के खिलाफ याचिका दाखिल नहीं की है, इसलिए कोर्ट उनके निलंबन के मामले में दखल नहीं दे […]

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज उपजिलाधिकारी दुर्गा शक्ति के निलंबन में दखल देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने नूतन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चूंकि उन्होंने खुद अपने निलंबन के खिलाफ याचिका दाखिल नहीं की है, इसलिए कोर्ट उनके निलंबन के मामले में दखल नहीं दे सकती है, हालांकि कोर्ट ने अवैध खनन के मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.

भाटी ने 28 वर्षीय अधिकारी के निलंबन में अपनी कोई भूमिका होने से इनकार करने के दो दिन बाद यह दावा गौतमबुद्ध नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए किया. वीडियो में वह यह कहते दिखाई देते हैं कि मैंने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से सुबह साढ़े दस बजे बात की और 11 बजे निलंबन आदेश पहुंच गया. उन्होंने इतना बुरा व्यवहार किया और उसके बाद 40 मिनट भी नहीं रुक पाईं.

लखनऊसे 41 मिनट के भीतर आदेश आ गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया. भाटी ने आज इसका खंडन करते हुए कहा कि उनका इस अधिकारी के खिलाफ हुई कार्रवाई से कोई लेना-देना नहीं है.वीडियो क्लिपिंग के बारे में पूछे जाने पर भाटी ने कहा, मीडिया बात को तोड़ मरोड़कर पेश कर रहा है. मैंने कहा था कि यह लोकतंत्र की जीत है. यूपी एग्रो के अध्यक्ष भाटी ने टेलीफोन पर कहा, कुछ समाचार चैनलों ने मेरे कथित विजुअल को गलत संदर्भ में दिखाया. एक आईएएस अधिकारी का तबादला कराने वाला मैं कौन होता हूं. उन्होंने आरोप लगाया कि गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी ने खुद को बचाने के लिए मामले में गलत रिपोर्ट दी है, क्योंकि वह भी रबूपुरा क्षेत्र के कादलपुर गांव में मस्जिद की दीवार गिराने के बराबर के दोषी हैं.

भाटी ने कहा, मस्जिद की दीवार ढहाये जाने के अगले दिन कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कादलपुर गांव में पंचायत बुलायी थी जिसमें करीब पांच हजार लोग शामिल हुए. वे सभी दीवार गिराए जाने को लेकर खासे उत्तेजित थे.कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सपा नेता ने कहा कि हालात की जानकारी मिलने पर वह खुद भी कादलपुर पहुंचे थे और भीड़ को आगाह किया था कि उसे भड़काया जा रहा है.

उन्होंने कहा, मैंने लोगों से कहा था कि सरकार इस मामले में गम्भीर है और उनके हित के लिये काम कर रही है. आप यहां क्यों इकट्ठा हो गये. मैंने शीर्ष लोगों को घटना के बारे में सूचना दे दी है और मुख्यमंत्री ने उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति को निलंबित कर दिया है. भाटी ने कहा, मुझे उत्तेजित भीड़ को वस्तुस्थिति की जानकारी देनी ही थी, नहीं तो लोग वहां से न जाते. मैंने सिर्फ स्थिति को संभालने की कोशिश की. उन्होंने कहा, मैंने लोगों से कहा कि सरकार उनका अहित नहीं होने देगी और ईद के बाद कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा. भाटी ने कहा, गांव में हर व्यक्ति कह रहा था कि मस्जिद की दीवार को जेसीबी मशीन की मदद से ढहाया गया. आखिर चंदा इकट्ठा करके दीवार बनाने वाले गांव के लोग उसे खुद क्यों ढहाएंगे. सपा नेता ने कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी से गुजारिश की थी कि वह बगैर अनुमति के बनायी जा रही मस्जिद को रमजान के दौरान हाथ न लगायें क्योंकि इससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है.

उन्होंने कहा, जिलाधिकारी ने मुझे आश्वस्त किया था कि वह कोई कार्रवाई नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को मस्जिद की दीवार ढहाने के निर्देश दे दिये. जिलाधिकारी ने अपनी खाल बचाने के लिए शासन को गलत रिपोर्ट दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले की निन्दा करते हुए भाजपा नेता नितिन गडकरी ने इसे पूरी तरह वोट बैंक की राजनीति बताया.

उन्होंने कहा, वे सांप्रदायिक और जातिगत भावनाओं को भड़का रहे हैं. वोट बैंक की राजनीति के लिए एक अच्छे अधिकारी को प्रताडि़त करना अनुचित है और इसीलिए आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस कदम का विरोध किया है. पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने आरोप लगाया कि एसडीएमए के निलंबन के मामले में सपा वोट बैंक की राजनीति की वजह से तथ्यों को छिपा रही है.

उन्होंने आईएएस अधिकारियों से कहा कि वे धैर्य नहीं खोएं. देश को उसकी (दुर्गाशक्ति) जरूरत है. वह राष्ट्र के लिए रोल मॉडल होगी. एक महीने पहले दुर्गाशक्ति नागपाल ने रेत खनन के मामले में भाटी के एक करीबी सहयोगी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

जिलाधिकारी कुमार रविकांत ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में निलंबित एसडीएम का समर्थन किया और कहा कि दीवार को खुद ग्रामीणों ने गिराया था और इसे ढहाने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल नहीं किया गया.

भाटी ने पूर्व में अधिकारी के निलंबन में अपनी भूमिका से इनकार किया था और कहा था कि यदि खनन माफिया से उनके संबंधों के आरोप साबित हो जाते हैं तो वे राजनीति छोड़ देंगे.

उन्होंने कहा था, धर्म स्थल की दीवार गिराने में एसडीएम की भूमिका उनके निलंबन का कारण थी, न कि खनन से जुड़े मुद्दे. कादलपुर गांव, जहां दीवार गिराई गई थी, के लोगों ने कहा कि भाटी ने मस्जिद के निर्माण के लिए 51 हजार रुपये दिए थे. उन्होंने कहा, यदि यह अवैध निर्माण था तो उप्र के मंत्री ने दान क्यों दिया. उप्र के मुख्यमंत्री ने नागपाल को निलंबित किए जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि मस्जिद की दीवार गिराने की कार्रवाई से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा था. इस बीच, कादलपुर गांव के लोगों ने आईएएस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.

एक ग्रामीण ने कहा, हालांकि, एसडीएम के निलंबन से हमें राहत मिली है, लेकिन हम चाहते हैं कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए. हम जिला प्रशासन और राज्य सरकार से लिखित मांग करेंगे. ग्रामीणों का दावा है कि नागपाल से पहले रबूपुरा थाना प्रभारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार उनसे मिले थे. बाद में नागपाल पुलिस और पीएसी के साथ पहुंचीं और कहा कि अदालत के निर्देशों के अनुसार उन्हें अनधिकृत दीवार को गिराना होगा.

एक ग्रामीण ने कहा कि जमीन ग्राम समाज की है और ग्राम प्रधान इस तरह की जमीन पर धार्मिक स्थल के निर्माण की अनुमति दे सकता है.इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज केंद्र और यूपी सरकार से अवैध खनन पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है. हाई कोर्ट ने 19 अगस्त तक जवाब देने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब आइएएस दुर्गा शक्‍ति खुद आएंगी तभी फैसला किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओरअपने बयान पर नरेंद्र भाटी ने यू टर्न ले लिया है. उन्होंने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. गौरतलब है कि सपा नेता और यूपी एग्रो के चेयरमैन नरेंद्र भाटी ने एक विवादास्पद बयान दिया था. जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि उनके कहने पर दुर्गाशक्‍ति का निलंबन हुआ है. उन्होंने 28 जुलाई को इस मुद्दे पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बातचीत की थी. भाटी के अनुसार 10:30 बजे सीएम से उनकी बात हुई और 11:11 बजे एसडीएम के निलंबन का आदेश कलेक्टर के पास पहुंच गया था.

ग्रामीणों ने दुर्गा शक्‍ति पर मस्जिद की दीवार गिराने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि दुर्गा शक्‍ति ने ही मस्जिद की दीवार गिरवाई है. इस मस्जिद को लोगों से चंदा लेकर बनाया जा रहा था. इससे पहले डीएम की रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि इस दीवार को ग्रामीणों ने खुद ही गिराया है. इससे पहले कल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करने के निर्णय का यह कहते हुए मजबूती से बचाव किया कि एक मस्जिद की दीवार गिराने की उनकी कार्रवाई से साम्प्रदायिक सौहार्द ‘‘बिगड़’’ गया था.

28 वर्षीय अधिकारी को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के गत 27 जुलाई को निर्णय को लेकर कड़ी आलोचना का सामना करने के बावजूद अपने निर्णय पर कायम अखिलेश ने यह समझाने का प्रयास किया कि अधिकारी के खिलाफ सरकार की कार्रवाई और रेत खनन के बीच कोई संबंध नहीं है. उन्होंने इस कार्रवाई को ‘‘उचित’’ करार दिया. समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश इसके बावजूद अपने निर्णय पर कायम हैं कि अखिल भारतीय आईएएस अधिकारी संघ ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और नागपाल का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर इस मामले को केंद्र के पास लेकर चला गया है. संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज दिल्ली में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी से मुलाकात की.

नारायणसामी ने यह माना कि नागपाल को एक मौका दिये बिना निलंबित किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार से अधिकारी के निलंबन के बारे में सूचना देने वाली रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को बहाल करने की बढ़ती मांग के बीच मंत्री ने आश्वासन दिया कि अधिकारी से न्याय होगा जिन्होंने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में सक्रिय खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की थी.

अखिलेश ने कहा कि विभिन्न विभागों में तैनात अधिकारियों को जिम्मेदार तरीके से कार्य करना होता है. उन्होंने अधिकारी पर अपने वरिष्ठों से सलाह मशविरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कार्रवाई (नागपाल के खिलाफ) उचित थी. सरकार ने जो भी कार्रवाई की है वह सही है.’’उन्होंने लखनउ में राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुद्दा खनन नहीं है..हम भी अवैध खनन के खिलाफ हैं. मस्जिद की दीवार गिरने से सौहार्द बिगड़ गया था. यदि कोई अधिकारी ऐसा कदम उठाता है तो सरकार कार्रवाई करने को बाध्य है.’’ विपक्ष के उन आरोपों पर कि नागपाल को अवैध खनन रोकने को लेकर निलंबित किया गया, उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ अक्सर लगाये जाते हैं.

अखिलेश ने कहा, ‘‘आप दो तीन महीनों का रिकार्ड देखिये, हम स्वयं नहीं चाहते कि किसी अधिकारी के साथ कुछ भी गलत हो.’’यह पूछे जाने पर कि यदि नागपाल वरिष्ठों से सलाह लिये बिना मस्जिद की दीवार गिराने की दोषी हैं तो आखिर क्यों उत्तर प्रदेश आईएएस संघ उनका बचाव कर रहा है, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अन्य के विचार सुनने को तैयार है. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी ही सरकार थी जिसने पूर्व में निष्क्रिय हो चुके आईएएस संघ को बढ़ावा दिया.’’

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