लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 12 सीटों पर आगामी 23 जनवरी को होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) तथा मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) द्वारा एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार खड़ा किये जाने और भाजपा के भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलने की योजना के मद्देनजर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है.
प्रदेश में 403 सदस्यीय विधानसभा है और विधानमंडल के उच्च सदन में एक प्रत्याशी को जिताने के लिए निचले सदन के 31 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा.
सपा और बसपा ने जहां इन चुनाव के लिए एक-एक अतिरिक्त प्रत्याशी खड़ा किया है, वहीं भाजपा भी ऐसा ही करने की योजना बना रही है.
कांग्रेस भी एक प्रत्याशी खड़ा करेगी. उसके पास 28 विधायक हैं और उसे एक उम्मीदवार जिताने के लिए तीन अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि उनकी पार्टी विधानपरिषद चुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी. इसके लिए पार्टी ने पूरी तैयारी कर ली है.
विधानसभा में सपा के 230 सदस्य हैं लिहाजा वह सात सीटें आसानी से जीतने की स्थिति में है. उसके बाद भी सपा के पास 13 वोट बच जायेंगे. संभवत: क्रॉस वोटिंग का फायदा मिलने की उम्मीद में सपा ने सात के बजाय आठ उम्मीदवार खड़े किये हैं.