।।राजेन्द्र कुमार।।
लखनऊः उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल डा.अजीज कुरैशी सोमवार को फिर विवादों घिर गए. अपनी कार्यप्रणाली और बयानों के चलते वह एक माह के भीतर चौथी बार विवादों में फंसे हैं. इस बार उनके विवाद में फंसने की वजह, उनका यह कहना है कि भगवान भी दुष्कर्म की घटनाओं को रोक नहीं सकते. पुलिस और सेना के तैनाती करने के बाद भी रेप की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता. कुरैशी के इस बयान की भाजपा और बसपा के नेताओं ने आलोचना की है. दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि अजीज कुरैशी की यह सोच सही नहीं है और उन्हें सूबे की सपा सरकार का पक्ष लेते हुए ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था.
सूबे के कार्यवाहक राज्यपाल अजीज कुरैशी ने यह विवादित बयान सोमवार की शाम राजभवन में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए दिया. अजीज कुरैशी यूपी के राजभवन से कल विदा ले रहे है, जिसके चलते ही उन्होंने ने पत्रकारों को बुलाया. इस दरमियान सूबे की कानून व्यवस्था को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बचाव करते हुए कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री ने लखनऊ सहित अन्य जिलों में हुई दुराचार की घटनाओं की निष्पक्ष जांच के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की.
यह दावा करते हुए कुरैशी ने कहा कि भगवान भी चाहे तो दुष्कर्म को नहीं रोक सकते हैं और ना ही हर जगह पुलिस या सेना की तैनाती करके ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है. यह घटनाएं तब ही रूकेंगी, जब समूचा समाज इसके खिलाफ एकजुट होगा. डा. कुरैशी के मुताबिक दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश के लिए समाज की सोच में बदलाव होना चाहिए तभी इस पर अंकुश लगेगा.
यूपी के कार्यवाहक राज्यपाल डा. कुरैशी की इस सोच को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने अमर्यादित बताया है. उनका कहना है कि डा. कुरैशी राज्यपाल के पद के अनुरूप आचरण नहीं कर रहे हैं. इसके पहले भी उन्होंने जनता दरबार लगाकर राजभवन से अखिलेश सरकार को निर्देश देने शुरू किए. फिर उन्होंने अपने पूर्ववर्ती टीवी राजेश्वर और बीएल जोशी की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए सपा के कद्दावर नेता मो. आजम खां के रामपुर स्थित मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी.
सात वर्षो से इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली थी, जिसे चंद दिनों पहले ही यूपी के कार्यवाहक राज्यपाल बने डा. कुरैशी ने आनन-फानन में मंजूरी दे दी. यही नहीं यह करते हुए उन्होंने यह कहा कि यूपी के राज्यपाल रहे टीवी राजेश्वर और बीएल जोशी ने जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा ना देकर गलती की थी. यूपी में किसी राज्यपाल के कामकाज को लेकर ऐसी टिप्पणी किसी भी राज्यपाल ने नहीं की थी, पर 22जून को सूबे के कार्यवाहक राज्यपाल बने डा. कुरैशी ने सार्वजनिक रूप से दो पूर्व राज्यपालों के बारे में यह कहा. सपा को छोड़ डा. कुरैशी के के इस बयान की सभी राजनीतिक दलों ने आलोचना की और यह भी कहा कि कार्यवाहक राज्यपाल को विवादित जौहर विश्वविद्यालय के विधेयक पर निर्णय लेने से बचना चाहिए था.
डा. कुरैशी के इस निर्णय पर सूबे में राजनीतिक विवाद अभी थमा भी नहीं था कि कार्यवाहक राज्यपाल डा. कुरैशी ने दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर अब अमर्यादित बयान दे दिया. हालांकि मोहनलालगंज में एक महिला का निर्वस्त्र शव मिलने के बाद उन्होंने सख्त रूख दिखाते हुए अखिलेश सरकार से इस मामले में रिपोर्ट राजभवन भेजने का आदेश दिया था, और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद राज्यपाल को इस बार में हुई कार्यवाही से अवगत कराने गए थे.
करीब बीस मिनट तक मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बताया था.मुख्यमंत्री से हुई इस मुलाकात के बाद डा. कुरैशी ने सोमवार को पत्रकारों को बुलाया और पुलिस द्वारा मोहनलालगंज में हुई दुष्कर्म की घटना पर की गई कार्रवाई से संतुष्ठ होकर यह विवादित बयान दे डाला. जिसे लेकर प्रदेश के तमाम महिला संगठन डा. कुरैशी के बयान की निंदा कर रहे हैं.