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ग्राउंड रिपोर्ट : काशी में जीत नहीं, लीड के लिए जंग, जानें क्यों नहीं लड़ीं प्रियंका, क्‍या होता अगर तेज बहादुर होते, तो….

वाराणसी से दिनेश जुयाल पिछले चुनाव में पीएम मोदी की 3,71,784 वोटों के अंतर से हुई थी जीत नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कांग्रेस व सपा के प्रत्याशी काशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट है और लोग यह सवाल पूछ ही नहीं रहे हैं कि यहां कौन जीत रहा है. प्रेमचंद के गांव लमही के लोग, […]

वाराणसी से दिनेश जुयाल
पिछले चुनाव में पीएम मोदी की 3,71,784 वोटों के अंतर से हुई थी जीत
नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कांग्रेस व सपा के प्रत्याशी
काशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट है और लोग यह सवाल पूछ ही नहीं रहे हैं कि यहां कौन जीत रहा है. प्रेमचंद के गांव लमही के लोग, लहरतारा के कबीरपंथी, गंगा किनारे के निषाद और सारनाथ में बौद्ध मंदिर में श्रद्धालु भले ही राजनीति पर बात करने से बच रहे हों, लेकिन बनारस की गलियों और गंगा घाट की दुकानों में लोगों को अपनी पसंद बताने में कोई गुरेज नहीं. यह सवाल जरूर है कि इस बार पहले जैसी लीड होगी या नहीं? यही भाजपा की चुनौती है.
बाबा की नगरी में विश्वनाथ कॉरिडोर बन रहा है.. चार बड़े ओवर ब्रिज बने. कुछ काम हो रहे हैं, लेकिन जाम और गंदगी का इलाज नहीं हुआ. कुछ लोग गंगा को भी पहले से साफ बता रहे हैं. मोदी के नाम के अलावा इस बार काम पर भी वोट पड़ेंगे.
सपा और कांग्रेस के जातीय मोर्चे भी चुनौती हैं. यूं काशी में जहनी तौर पर भी कुछ बदलाव दिख रहे हैं. पत्थर की पूजा से मना करने वाले कबीर अपने नये बने स्मारक में मूर्ति के रूप में पूजे जाने लगे हैं. सभी पंथी पहले से ज्यादा धार्मिक लग रहे हैं. मस्त रहने वाले बनारसी प्रेजेंटेशन का मतलब समझ रहे हैं.
सपा और कांग्रेस प्रत्याशी सहित 26 उम्मीदवार मैदान में
बीएसएफ से बर्खास्त तेज बहादुर फौजी का पर्चा खारिज होने के बाद अब सपा से पहले पर्चा भरने वाली शालिनीयादव और कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय समेत 26 उम्मीदवार मैदान में हैं. 2014 में मोदी को 581022 मिले. उनके खिलाफ नोटा मिला कर 449663 वोट पड़े थे. कांग्रेस से तब भी अजय ही थे और उन्हें मात्र 75614 वोट, जबकि दूसरे नंबर पर रहे अरविंद केजरीवाल को 209000 वोट मिले थे. इस बार कांग्रेस और सपा में से किसी एक को करीब तीन लाख मुस्लिम वोटर ज्यादा दमदार बनायेंगे. यह नंबर दो की लड़ाई भी दिलचस्प रहेगी.
वोट समीकरण
बनारस के ग्रामीण क्षेत्र में 1086215 और शहर में 710710 वोटर हैं. 03 लाख मुसलमान, 4,35540 एससी, 1.50 लाख यादव, 2.50 लाख पटेल आदि को जोड़ कर सपा अपनी जीत का दावा कर रही है. यूं पटेल पिछली बार भाजपा के साथ थे.
कांग्रेस कर रही जीत का दावा
कांग्रेस भी मुसलमान, 02 लाख भूमिहार और दलित पिछड़ों के साथ शहर के आधे व्यापारियों और नाराज ब्राह्मणों को अपने पाले में बता कर जीत का दावा कर रही है.
चुनाव आयोग नहीं सुन रहा हमारी : अजय राय
अजय राय कहते हैं कि मोदी ने रोड शो से आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने का अभियान शुरू किया. करोड़ो के फूल, गुब्बारे और सार्वजनिक स्थलों पर होर्डिंग के खर्च का कोई हिसाब नहीं. हमने आब्जर्वर को लिख कर दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर मूर्तियां तोड़ कर लोगों को खदेड़ा गया. इसे बाबा की मुक्ति का पर्व बता कर उन्होंने अपना ही आधार खोया है. दक्षिण के पंडित इसका जवाब देंगे.
शहर का डीएनए बदलने की कोशिश : शालिनी
सपा प्रत्याशी शालिनी कहती हैं, शहर में पानी, सीवर, सड़क जाम, गंगा, बीएचयू में सरकारी दखल जैसे जनता के बहुत से मुद्दे हैं, जिन पर मोदी जी ने ध्यान नहीं दिया. गलियों के शहर में कॉस्मेटिक विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये. सारे काम अधर में हैं. एक बाहरी व्यक्ति ने क्योटो बनाने की बात कह कर शहर का डीएनए चेंज करने की कोशिश की है. स्वच्छ भारत की बात कर रहे हैं और पूरा शहर कूड़ादान बना है. देहात में गठबंधन की ताकत मोदी जी देखेंगे.
क्यों नहीं लड़ीं प्रियंका
प्रियंका को काशी से उतारने के लिए कांग्रेस ने कुछ तैयारियां तो की थी. वाराणसी के आसपास की सीटों पर टिकट भी इसी तरह से दिये गये. यहां पटेलों पर कृष्णा पटेल का असर देख कर उन्हें साथ लिया, कमालापति त्रिपाठी खानदान से ललितेश्वर त्रिपाठी, सुकन्या कुशवाहा, रमाकांत यादव, ये सब इसीलिए मोर्चे पर लगाये गये कि जातीय गणित बन जाए. प्रियंका तो मैदान में नहीं उतरीं, लेकिन अजय राय को अगर यह लाभ मिल जाता है, तो वह अच्छे वोट ले सकते हैं.
2014 का परिणाम
नरेंद्र मोदी, भाजपा 5,81,023 (56.37)
अरविंद केजरीवाल, आप 2,09,238 (20.30%)
अजय राय, कांग्रेस 75,614 (7.34%)
विजय प्रकाश जायसवाल, बसपा 60,579 (5.88%)
कैलाश चौरसिया, सपा 45,291 (4.39%)
नोटा 2,051 (0.20%)
जीत का अंतर 3,71,784 (36.07%)
बर्खास्त फौजी तेज बहादुर ने सपा के प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा, तो दो दिन मीडिया की खबरों से लगा कि वह मुख्य मुकाबले में हैं. मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने को उतरे 102 दावेदारों में से जिन 71 के पर्चे खारिज हुए, उनमें तेज बहादुर भी शामिल हैं. पूरा मीडिया चार घंटे तेज बहादुर के जिला निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर से निकलने का इंतजार करता रहा. शहर में तब माहौल कुछ इस तरह बन गया था कि यह फौजी अगर मैदान में होता, तो संभव था अजय राय उनसे पीछे हो जाते.
नामांकन के एक दिन पहले मोदी के रोड शो के बाद यह इस चुनाव का अब तक का दूसरा सबसे चर्चित घटनाक्रम रहा. अब शालिनी का प्रचार कर रहे तेज बहादुर कहते हैं, मुझे मैदान से हटा कर मोदी जी ने अपना नुकसान किया है. अब 19 तक यहीं शालिनी जी के लिए अपने अंदाज में वोट मांगूंगा, लेकिन तेज बहादुर में अब वह तेज नहीं रहा.
अंतिम चरण में होगा शक्ति परीक्षण
भाजपा की टीमें चुनाव की घोषणा के बाद से यहां जमी हैं. एक ही लक्ष्य है सम्मानजनक लीड. आखिरी सप्ताह में यहां चुनावी जंग चरम पर होगी. तय कार्यक्रम के अनुसार 14 मई को अमित शाह कोप्रेस कांफ्रेंस कर इस युद्ध के नये चरण का एलान करना है और फिर पूरा एनडीए वाराणसी और उसके आसपास होगा. अंतिम चरण की पूर्वांचल की 13 सीटों का चुनाव संचालन केंद्र काशी ही होगा. इसी तरह प्रियंका भी यहां कैंप करने वाली हैं. सपा बसपा के दिग्गज भी यहीं होंगे.

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