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गोरखपुर सीट पर भाजपा को मिल रही गठबंधन प्रत्याशी से कड़ी टक्कर, मंदिर का प्रभाव घटा!

हिंदुत्व और मंदिर के नाम पर फिर जीत हासिल करने की योगी को चुनौती गोरखपुर लोकसभा सीट भाजपा और विपक्ष, दोनों के लिए अहम है. भाजपा के लिए इसलिए कि 1989 से 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा ही नहीं रहा है, हिंदुत्व के एजेंडा को यहां प्रखर बनाने में वह कामयाब भी […]

हिंदुत्व और मंदिर के नाम पर फिर जीत हासिल करने की योगी को चुनौती
गोरखपुर लोकसभा सीट भाजपा और विपक्ष, दोनों के लिए अहम है. भाजपा के लिए इसलिए कि 1989 से 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा ही नहीं रहा है, हिंदुत्व के एजेंडा को यहां प्रखर बनाने में वह कामयाब भी रही. यह सीट योगी आदित्यनाथ की रही है, जहां से लगातार पांच बार वह सांसद चुने गये. उनसे पहले उनके मठ के गुरु लगातार तीन बार यहां के सांसद रहे.
लिहाजा, भाजपा और योगी के लिए यह सीट बेहद प्रतिष्ठा की है, जिसे वह वापस पाना चाहते हैं. विपक्ष के लिए सीट इसलिए अहम है कि करीब तीन दशक बाद 2018 के उपचुनाव में इस सीट को भाजपा से छीनने में उसे कामयाबी मिली, जब सपा के प्रवीण निषाद इस सीट से जीते. इस बार सपा-बसपा मिल कर इस सीट पर लड़ रही हैं. हालांकि सपा ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. उपचुनाव में सपा के टिकट के जीतने वाले प्रवीण निषाद की जगह राम भुआल निषाद को गठबंधन ने टिकट दिया है.
हालांकि गठबंधन के इस फैसले से उत्पन्न जो भी थोड़ी-बहुत नाराजगी प्रवीण निषाद के समर्थकों में होगी, उसका लाभ भाजपा को मिलेगा. भाजपा ने उनके पिता संजय निषाद की पार्टी ‘निषाद पार्टी’ को एनडीए में शामिल कर लिया है.
कांग्रेस यहां वोट काटती भर है
कांग्रेस इस सीट पर छह बार जीती, मगर यह अतीत की बात हो गयी है. 1984 में मदन पांडेय उसके अंतिम उम्मीदवार थे, जो इस सीट से जीत कर संसद पहुंचे थे. उसके बाद कांग्रेस कभी दूसरे तो क्या, तीसरे स्थान पर नहीं आयी. वह करीब-करीब हर बार भाजपा, सपा और बसपा के बाद चौथे नंबर पर ही रही और 1996 तक उसका वोट शेयर एक फीसदी से भी कम रहा. 1996 के बाद उसके वोट शेयर में थोड़ा सुधार हुआ, मगर कभी 5 प्रतिशत तक नहीं पहुंच सका.
मंदिर, योगी और गोरखपुर
1991 से लेकर 2014 तक तमाम विरोधी माहौल में भी पूर्वांचल में जो एक सीट हमेशा भाजपा की होती रही वह है, गोरखपुर. करीब 32 सालों में इस सीट से गोरक्षनाथ मठ के प्रमुख दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्य नाथ और 1998 से लेकर 2017 तक योगी आदित्यनाथ सांसद रहे. 2018 के उपचुनाव में इस सीट पर निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने सपा के टिकट पर चुनाव जीता था. चुनाव के ठीक पहले संजय निषाद की पार्टी एनडीए में शामिल हो गयी.
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, गोरखपुर ग्रामीण, गोरखपुर शहर, सहजनवां, पिपराइच, कैम्पियरगंज.
पहले भी फिल्मी सितारे उतरे हैं यहां
यह पहली बार नहीं है, जब गोरखुपर सीट से फिल्मी सितारे को चुनाव मैदान में उतारा गया है. इससे पहले 2009 में इस सीट से मनोज तिवारी को सपा ने यहां से टिकट दिया था. हालांकि उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
इस सीट से पांच बार योगी आदित्यनाथ जीते
2014 का परिणाम
उम्मीदवार पार्टीवोट%
योगी आदित्यनाथ भाजपा51.80
राजमति निषाद सपा21.75
राम भुआल निषाद बसपा16.95
एपी तिवारी कांग्रेस4.39
राधे मोहन मिश्रा आप1.14
नोटा 0.78
जीत का अंतर30.05
उपचुनाव, 2018
उम्मीदवार पार्टीवोट%
प्रवीण कु निषाद सपा48.87
उपेंद्र दत्त शुक्ला भाजपा46.53
डॉ एस करीम कांग्रेस2.02
श्रवण कु निषाद निर्दल0.35
अवधेश निषाद बीएमपी0.30
नाेटा0.89
जीत का अंतर2.34
इस बार के उम्मीदवार
भाजपारवि किशन
सपाराम भुअाल निषाद
कांग्रेसमधुसूदन तिवारी
सीपीआइडॉ आशीष सिंह
मंदिर का प्रभाव घटा!
मंदिर का असर इस चुनाव में हल्का पड़ रहा है. इसे खुद भाजपा कार्यकर्ता और संगठन में प्रमुख विस्तारक भी मानते हैं. वे कहते हैं कि रवि किशन के नाम के एलान के बाद कार्यकर्ताओं को थोड़ी मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन वोटिंग में अभी समय है.

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