10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आजमगढ:आसान नहीं होगी मुलायम की राह

आजमगढ : कैफी आजमी और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की धरती आजमगढ से चुनाव लड रहे समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ छोटे-छोटे मुस्लिम संगठनों के एकजुट होने से इस सीट पर उनकी राह आसान नहीं दिख रही है. मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में जीत-हार की चाबी अब पूरी तरह मुसलमान मतदाताओं के […]

आजमगढ : कैफी आजमी और अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की धरती आजमगढ से चुनाव लड रहे समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ छोटे-छोटे मुस्लिम संगठनों के एकजुट होने से इस सीट पर उनकी राह आसान नहीं दिख रही है. मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में जीत-हार की चाबी अब पूरी तरह मुसलमान मतदाताओं के हाथों में जाती दिख रही है. मैनपुरी से भी चुनाव लड रहे सपा प्रमुख द्वारा शुक्रवार को नामांकन के बाद मैनपुरी सीट नहीं छोडने की सार्वजनिक घोषणा को प्रतिद्वन्द्वियों ने उनके खिलाफ हथियार के रुप में इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है और वे मुसलमानों को अपना वोट व्यर्थ नहीं गंवाने की सलाह देकर यादव को ‘पराया’ प्रत्याशी करार देने की जुगत में हैं.

आजमगढ से सपा प्रमुख को चुनौती देने के लिये उतरे राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के अध्यक्ष आमिर रशादी का कहना है कि मैनपुरी से भी चुनाव लड रहे मुलायम सिंह यादव ने कल उस सीट से नामांकन भरने के बाद कहा कि वह मैनपुरी सीट नहीं छोडेंगे। इसका मतलब है कि वह आजमगढ की जनता के साथ दगाबाजी करने जा रहे हैं. ऐसे में यहां की जनता, खासकर मुसलमानों को सपा के साथ जाकर अपना मत बेकार नहीं करना चाहिये. पूर्वाचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में खासा प्रभाव रखने वाली पीस पार्टी ने करीब 16 फीसद मुस्लिम आबादी वाले आजमगढ से अपना प्रत्याशी खडा करने के बजाय उलमा काउंसिल के उम्मीदवार आमिर रशादी को समर्थन देने का फैसला किया है. राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक खासकर मुस्लिम और यादव मतों पर निर्भर मुलायम की मुश्किलें इस घटनाक्रम से बढ सकती हैं. विश्लेषकों के मुताबिक राष्ट्रीय उलमा काउंसिल, कौमी एकता पार्टी, पीस पार्टी और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनो के विरोध के साथ ही एएमयू टीचर्स एसोसिएशन भी सपा सुप्रीमो के लिए चुनौती पैदा कर सकते है. अगर इसके चलते मुस्लिम मतों का विभाजन होता है तो मुलायम के लिए चुनौती गहरा सकती है.

आजमगढ से मुलायम के चुनाव लडने की घोषणा से यहां के सपा नेताओं में उत्साह का संचार हुआ था। लेकिन रशादी के तेवरोंे और मुस्लिम संगठनों की सपा सुप्रीमो के खिलाफ घेराबन्दी ने सपा नेताओं को न सिर्फ अन्दर तक हिला दिया बल्कि समाजवादी पार्टी नेताओं को नये सिरे से मंथन करने पर मजबूर कर दिया है.वर्ष 2009 में आजमगढ में साम्प्रदायिक रुप से बेहद ध्रुवीकृत माहौल में भाजपा के रमाकांत यादव सांसद चुने गये थे. इस बार रमाकांत को चुनौती देने के लिए बसपा ने जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को टिकट दिया है. मुलायम के आने से पहले इस सीट पर मुख्य लडाई भाजपा और बसपा के बीच ही मानी रही थी लेकिन सपा सुप्रीमो के मैदान में उतरने से लडाई रोचक हो गयी है.

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक यादव मतदाता का झुकाव जाहिर तौर पर मुलायम की तरफ है, लेकिन उनमें से ज्यादातर अब भी भ्रमित हैं. असली सफलता-असफलता मुस्लिमों के रुख से पैदा होगी और तमाम मुस्लिम पार्टियों के साथ ही मुस्लिम संगठनों ने सपा सुप्रीमो का विरोध करने का निर्णय किया है. अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय :एएमयू: में गत 24 फरवरी को होने वाले सर सैयद मूवमेंट फोरम के कार्यक्रम में मुलायम को आमंत्रित किया गया था। लेकिन उनके कार्यक्रम की घोषणा होते ही एएमयू टीचर्स एसोसिएशन और छात्रों ने मुजफ्फरनगर दंगों में नाकामी का आरोप लगाते हुए सपा प्रमुख का जबर्दस्त विरोध किया था.

एएमयू टीचर्स एसोसिएशन ने फैसला किया है कि वह आजमगढ की जनता से सपा सुप्रीमो को वोट न देने की अपील करेगी. कुल मिलाकर सपा के सिर मुजफ्फरनगर दंगों का कलंक और बसपा के शाहआलम उर्फ गुड्डू जमाली तथा राष्ट्रीय उलमा काउंसिल, कौमी एकता पार्टी, पीस पार्टी और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों के विरोध के साथ ही अब एएमयू टीचर्स एसोसिएशन भी सपा सुप्रीमो के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें