चाईबासा : वर्ष 1994 में नियुक्त शिक्षकों ने पदोन्नति मामले को लेकर उच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है. न्यायालय के आदेश के बावजूद भी झारखंड सरकार ने शिक्षकों को पदोन्नति नहीं दी है. उक्त बातें शिक्षक राजेश कुमार महतो ने कही. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ उच्च योग्यताधारी शिक्षकों को उनकी योगदान की तिथि से ग्रेड वन मानते हुए प्रोन्नति दे रही है. सरकार मैट्रिक एवं इंटर योग्यताधारी शिक्षकों के साथ भेदभाव नीति अपना रही है.
सरकार की गलत नीति के कारण, जो शिक्षक वर्ष 2002 में प्रशिक्षण पास कर चुके हैं, वे वर्ष 2004 में प्रशिक्षण पास करने वाले शिक्षक से जूनियर हो गये हैं. सरकार अगर वर्ष 1994 में नियुक्त मैट्रिक या इंटर योग्यताधारी शिक्षकों को योगदान की तिथि से ग्रेड वन मानते हुए प्रोन्नति नहीं देगी तो वे वर्ष 2004 में नियुक्त शिक्षकों से भी जूनियर हो जायेंगे.
सेवा नियमावली में कहा गया कि किसी भी हाल में जूनियर शिक्षकों का वेतनमान सीनियर शिक्षकों के वेतनमान से अधिक नहीं होनी चाहिए. न्यायालय का अस्पष्ट आदेश है कि 1994 में जितने भी अप्रशिक्षित शिक्षक नियुक्त हुए हैं, उनकी नियुक्ति की तिथि से प्रशिक्षित मानते हुए प्रोन्नति दी जाये. न्यायालय का कहना है कि 1994 में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षकों का वर्ष 1998 में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है और वर्ष 2002 में परीक्षा ली जाती है. इधर, प्रोन्नति नहीं पाने वाले शिक्षकों की एक बैठक 13 मार्च को कचहरी तालाब में बुलायी गयी है.