बिलाइपदा. 25 वर्षों से ग्रामीणों की जमीन पर कब्ज़ा का आरोप
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टाटा स्पंज रेलवे साइडिंग 27 घंटे से बंद
बिलाइपदा. 25 वर्षों से ग्रामीणों की जमीन पर कब्ज़ा का आरोप हो सेयां मस्कल अखाड़ा के आवेदन पर चंपुआ सब कलेक्टर ने आर आई और तहसीलदार को 75 विस्थापितों की जमीन की जांच का आदेश दिया था जांच के पहले दिन कंपनी की रेलवे साइडिंग में निकली थी ग्रामीणों की जमीन ग्रामीणों ने रेलवे साइडिंग […]
हो सेयां मस्कल अखाड़ा के आवेदन पर चंपुआ सब कलेक्टर ने आर आई और तहसीलदार को 75 विस्थापितों की जमीन की जांच का आदेश दिया था
जांच के पहले दिन कंपनी की रेलवे साइडिंग में निकली थी ग्रामीणों की जमीन
ग्रामीणों ने रेलवे साइडिंग निकट की अपनी जमीन की जेसीबी से खुदाई की
बड़बिल : बिलाइपदा स्थित टाटा स्पंज आयरन लिमिटेड और आदिवासी विस्थापितों के बीच मुआवजा को लेकर चल रहा विवाद में नया मोड़ आ गया है. शुक्रवार को बिलाइपदा रेवेन्यू इंस्पेक्टर ने जमीनों की मापी की. इस दौरान कंपनी की रेलवे साइडिंग में कई एकड़ जमीन ग्रामीणों के नाम की निकली. इस जमीन पर करीब 25 वर्षों से टाटा स्पंज कब्ज़ा किये हुए थी.
इसके बाद शनिवार शाम से ग्रामीणों ने टाटा स्पंज की रेलवे साइडिंग जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया. शुक्रवार की सुबह से अपनी जमीनों को जेसीबी खोद कर निशान देने लगे थे. इस दौरान शनिवार शाम टाटा स्पंज के कुछ अधिकारी और जोड़ा पुलिस पहुंची. टाटा स्पंज अधिकारी ग्रामीणों से बात किये बिना लौट गए. जोड़ा थाना प्रभारी प्रभात परिड़ा ने ग्रामीणों को जेसीबी से खुदाई बंद करने को कहा. उन्होंने पूछा जमीन खोदने की अनुमति किसने दी.
ग्रामीणों ने कहा जमीन मापी के बाद आरआई ने कहा था जिसकी जमीन निकली है, वो अपनी जमीन में कुछ भी कर सकते हैं. जोड़ा थाना प्रभारी परिड़ा ने उन्हें खुदाई बंद करने को कहा. उन्होंने कहा कंपनी कहती है कि ग्रामीणों को बहुत पहले मुआवजा दिया जा चुका है. खबर लिखे जाने तक ग्रामीणों के अनुसार पुलिस ने जमीन मालिक मुरली मुंडा और उसके चाचा बिजय मुंडा को थाना ले जाकर साइडिंग जाने वाली सड़क खोलने का दबाव बना रही थी. पुलिस ने ग्रामीणों से कहा कि उक्त जमीन टाटा स्पंज की है. सोमवार को सब कलेक्टर की उपस्थिति में बैठक कर मामला सुलझाया जायेगा. इस दौरान 27 घंटे तक साइडिंग में काम ठप रहा.
विस्थापितों को मुआबजा के लिए आन्दोलन कर रही आदिवासी संगठन हो सेयां मास्काल आखाड़ा ने चम्पुआ सब कलेक्टर पारुल पटवारी को मामले से अवगत कराया था. सब कलेक्टर ने 18 नवंबर को बिलाइपदा रेवेन्यू इंस्पेक्टर (आरआई) और बड़बिल तहसीलदार को 75 ग्रामीणों की जमीनों की जांच के आदेश दिये थे.
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