चाईबासा : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट के बाद नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम जिले में सुरक्षा के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे की परत दर परत खुल रही है. यह साफ हो गया है कि वर्ष 2015 में नक्सल प्रभावित थानों की घेराबंदी के लिये दिये गये ठेके में नियमों का उल्लंघन हुआ. मुख्यालय से निर्देश के बाद टोंटो, गुवा, मनोहरपुर सहित विभिन्न नक्सल प्रभावित थानों के अंतर्गत आने वाली पुलिस चौकियों के लिए सुरक्षा घेरा तैयार हुआ. इसके लिए चक्रधरपुर से संचालित दो ठेका कंपनी मेसर्स अपूर्वा पोद्दार व मेसर्स बालाजी एजेंसी को 41 लाख में ठेका दिया गया.
दोनों कंपनियों ने काम पूरा नहीं किया. इसके बदले निर्धारित सीमा से दो गुना राशि 1.07 करोड़ रुपये का भुगतान करा लिया. इसका खुलासा होने पर दोनों ठेका कंपनी से पैसा वसूलने के लिये पुलिस विभाग से नोटिस जारी किये गये. दोनों कंपनी ने इसे अनसुना कर दिया. कंपनी के प्रोपराइटरों के खिलाफ पुलिस विभाग ने एफआइआर दर्ज कर दिया. ठेका कंपनियों के न्यायालय में शरण लेने के कारण उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है.
पूरे मामले के मुख्य आरोपी व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बेहद सफाई से बचकर निकल गये. उधर कैग की रिपोर्ट में इस अनियमितता का खुलासा होने के बाद एक बार फिर पुरानी फाइलें खंगाली जा रही हैं. जांच में यह भी पता चला कि पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा से अलग इस मामले में जिले के आला अधिकारियों ने पुलिस भवनों की घेराबंदी के लिये अपने स्तर से दो ठेकेदारों का चयन कर लिया था. बगैर किसी जांच के इन्हें भुगतान कर दिया गया.