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झारखंड का एक ऐसा एकलव्य विद्यालय जहां नहीं होती पढ़ाई, स्कूल कैंपस में उगी झाड़ियां

पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड स्थित बूढ़ीपुखुर मौजा में बने करोड़ों की लागत से एकलव्य आवासीय विद्यालय सफेद हाथी साबित हो रहा है. यह विद्यालय पिछले छह साल से उद्घाटन की बाट जोह रहा है. पिछले छह साल से पढ़ाई नहीं होने से विद्यालय परिसर में झाड़ियां उग आयी है, वहीं दीवारों में दरारें आ गयी.

Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में एक ऐसा एकलव्य आवासीय विद्यालय है जहां करोड़ों खर्च करने के बाद भी पिछले छह साल से पढ़ाई नहीं हो रही है. विद्यालय परिसर में झाड़ियां उग आयी है, वहीं दीवारों में दरारें आ गयीं है. इसके बावजूद आज तक कोई इसकी सुध नहीं ली है.

तीन करोड़ की लागत से बना भवन आज भी शुभारंभ का जोह रहा बाट

पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड की पुरनापानी पंचायत के बूढ़ीपुखुर मौजा में बना करोड़ों की लागत से एकलव्य आवासीय विद्यालय सफेद हाथी साबित हो रहा है. भवन निर्माण होने के छह साल गुजर गए, लेकिन अभी तक विद्यालय का शुभारंभ नहीं हो सका. जिसके कारण स्कूल भवन चारों ओर झाड़ियों से घिर गया है. दीवारों में दरारें आ रही हैं. वर्ष 2017 में लगभग तीन करोड़ की लागत से इस भवन का शिलान्यास हुआ था. विभागीय उदासीनता के कारण आज तक भवन में पठन-पाठन कार्य शुरू नहीं हो सका. हर साल विद्यार्थियों के लिए प्रवेश परीक्षा होती है.

खंडहर में तब्दील हो रहा आलीशान एकलव्य विद्यालय

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद नामांकन के लिए गुड़ाबांदा या अन्य जगहों पर जाना पड़ता है. बच्चों की बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए यहां के आलीशान एकलव्य विद्यालय खंडहर में तब्दील हो रहा है. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. विधायक समीर महंती ने उक्त भवन को सुचारू रूप से संचालन के लिए उपायुक्त को अवगत कराया है. ताकि क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.

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धनबाद की टीम ने किया गालूडीह कस्तूरबा आवासीय विद्यालय का किया निरीक्षण

दूसरी ओर, धनबाद जिले की एक टीम ने घाटशिला प्रखंड के गालूडीह बराज स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का निरीक्षण किया. टीम के सदस्यों ने यहां के कस्तूरबा स्कूल की आधारभूत संरचना, कक्षा, पुस्तकालय, जिम, रसोई घर, छात्रावास, छात्राओं द्वारा सीखते हाथ का हुनर, मसलन मशरूम उत्पादन, चित्रकला आदि से रुबरु हुए. इसके बाद वार्डन लिपिका साव समेत सभी शिक्षकों और लेखापाल प्रवीर मिश्रा के साथ बैठक कर विस्तृत रिपोर्ट ली. टीम में अर्चना कुमारी, राखी कुमारी, सुनीता साव, सबा नाज, अनीशा कुमारी, विनोद कुमारी, कुमारी मनोरमा, जितेंद्र कुमार, एंजेनिलना टुडू, अरुण कुमार, सोनू मंडल, पूनम कुमारी, शशिकिरण कुमारी, निधि अग्रवाल शामिल थीं. सभी धनबाद जिले के बिलयापुर, गोविंदपुर, झरिया, निरसा, टुंडी, तोपचांची के थे.

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