सिमडेगा. आदिवासी छात्र संघ के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव के नेतृत्व में झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात कर खड़िया भाषा को विद्यालयी शिक्षा में शामिल करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में मांग की गयी कि झारखंड की पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों के प्लस टू विद्यालयों में खड़िया समेत सभी जनजातीय मातृ भाषाओं में शिक्षकों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाये. प्रतिनिधिमंडल के अनुसार खड़िया, कुड़ुख, मुंडारी, संताली, हो जैसी भाषाएं न केवल सांस्कृतिक पहचान की प्रतीक हैं, बल्कि प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा को प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्लस टू विद्यालयों में मातृभाषा आधारित शिक्षा की समुचित व्यवस्था न होने के कारण विद्यार्थियों को शैक्षणिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी शैक्षणिक प्रगति बाधित हो रही है और वे अपनी भाषा व संस्कृति से कटते जा रहे हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में शिक्षा देने की सिफारिश की गयी है और झारखंड सरकार ने संताली, मुंडारी, हो, और कुड़ुख भाषाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की है. परंतु खड़िया भाषा को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, जिसे प्रतिनिधिमंडल ने अत्यंत खेदजनक बताया. प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय अध्यक्ष राजू उरांव, निशांत तिर्की, जिलाध्यक्ष रोशन डंगडुंग, बीरेंद्र मुंडा, प्रभु टोप्पो, विष्णु कुमार, जिनिद खलखो, बिपिन मुंडा, सहावीर उरांव, लक्ष्मण उरांव, प्रदेशीय तिर्की, ब्रीसियुस सोरेंग, सनी सोरेंग, अनुपमा बिलुंग, किरण कुल्लू, सुनीता केरकेट्टा, रेडलिन केरकेट्टा, अमित तिग्गा, विवेक तिर्की, महादेव उरांव आदि शामिल थे.
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