10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

क्रिसमस विशेष : 20 मई 1906 को रखी गयी थी सिमडेगा के संत मरिया महागिरजाघर की नींव

पोप पायस नौंवे ने आठ दिसंबर 1854 को निष्कलंक गर्भागमन की व्याख्या की थी और पूरी दुनिया ने इस व्याख्या का स्वर्ण जयंती समारोह 1904 में मनाया.

सिमडेगा : पोप पायस नौंवे ने आठ दिसंबर 1854 को निष्कलंक गर्भागमन की व्याख्या की थी और पूरी दुनिया ने इस व्याख्या का स्वर्ण जयंती समारोह 1904 में मनाया. उसी दौरान कोलकाता आर्चडायसिस ने रांची में एक चर्च के निर्माण का निर्णय लिया. फादर सिल्वें ग्रोजां चाहते थे कि यह आरलों, बेल्जियम के गिरजाघर जैसा तैयार हो.

इसके लिए 1892 में ब्रदर ऑल्फ्रेड लेमोनी को रांची बुलाया गया, जो पेरिश के बंगलों, स्कूलों और गिरजाघरों के एक कुशल निर्माता थे. उन्हें एक नया गिरजाघर बनाने की जिम्मेवारी दी गयी. आर्चबिशप ब्राइस म्यूलमैन ने 20 मई 1906 को इसकी नींव रखी. ब्रदर लेमोनी ने अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभायी और तीन अक्तूबर 1909 को ढाका के बिशप हर्थ ने इसका उदघाटन किया़

आठ हजार रुपये में खरीदी जमीन के एक हिस्से में बना है महागिरजाघर

1873 के आसपास रांची में कैथोलिक कलीसिया की मौजूदगी नहीं थी, पर इसकी परोक्ष उपस्थिति दिखने लगी थी. 1873 में डोरंडा में फौजियों की आध्यात्मिक सेवा के लिए एक कैैथोलिक पुरोहित रहते थे. 1886 में फादर मोटेट की नियुक्ति डोरंडा में हुई, जिन्होंने 10 जून को पुरुलिया रोड (रांची) के दोनों तरफ स्थित विशाल कॉफी बागान को 8000 रुपये में खरीदा. इसी जमीन के एक हिस्से में संत मरिया महागिरजाघर अवस्थित है.

1927 में रांची को मिला डायसिस का दर्जा :

25 मई 1927 काे रांची को कोलकाता आर्चडायसिस से एक अलग डायसिस बनाया गया. इसके बाद इस गिरजाघर को कैथेड्रल का दर्जा मिला. बिशप लुईस वान हॉक ने 30 जून 1928 को इस डायसिस के पहले बिशप के रूप में जिम्मेवारी संभाली. तीन सितंबर 1952 को इस डायसिस को आर्चडायसिस का दर्जा दिया गया.

ऐसे हुई थी शुरुआत

जमीन खरीदने के बाद वहां रहने के लिए उसी वर्ष एक खपरैल घर ‘मनरेसा हाउस’ बनाया गया. तब से यह रांची और आसपास के ग्रामीण में कार्यरत मिशनरियों के लिए प्रमुख केंद्र रहा है. मिशनरियों की मदद के लिए कोलकाता से लोरेटो सिस्टर्स को भेजा गया. जब पुरुलिया रोड में स्थित रेड लॉज के मालिक की मृत्यु हुई अौर इसके बिक्री के लिए उपलब्ध होने की सूचना मिली, तब लॉरेटो सिस्टर्स ने इसे 21 मार्च 1890 को खरीद लिया.

1899 तक वहां रेड लॉज के अतिरक्त कई और मकान भी बना लिये गये. लोरेटो सिस्टर्स और संत अन्ना धर्मबहनें भी रहने लगीं. उसी वर्ष सबकी आने-जाने की सुविधा को देखते हुए एक छोटे प्रार्थनालय का निर्माण किया गया. पूरा मसीही समुदाय उस संत जॉन चैपल में जाने लगा. जब यह लोगों की संख्या के अनुपात में छोटा पड़ने लगा, तब एक बड़े गिरजाघर की जरूरत महसूस हाेने लगी, जिसके बाद एक बड़े गिरजाघर का निर्माण हुआ.

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel