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आदिवासी महापंचायत का सिमडेगा में धरना
आदिवासी विरोधी है स्थानीय की परिभाषा सिमडेगा : अनुमंडल कार्यालय के समीप आदिवासी अधिकार सुरक्षा महापंचायत ने गुरुवार को धरना दिया़ सरकारी द्वारा घोषित स्थानीयता की परिभाषा के विरोध में आयोजित इस धरने में कई लोग शामिल हुए़ अध्यक्षता सोहन बड़ाइक ने की. महापंचायत के संरक्षक बेंजामिन लकड़ा ने इसे आदिवासी विरोधी बताया़ कहा कि […]
आदिवासी विरोधी है स्थानीय की परिभाषा
सिमडेगा : अनुमंडल कार्यालय के समीप आदिवासी अधिकार सुरक्षा महापंचायत ने गुरुवार को धरना दिया़ सरकारी द्वारा घोषित स्थानीयता की परिभाषा के विरोध में आयोजित इस धरने में कई लोग शामिल हुए़ अध्यक्षता सोहन बड़ाइक ने की. महापंचायत के संरक्षक बेंजामिन लकड़ा ने इसे आदिवासी विरोधी बताया़ कहा कि आदिवासियों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया है.
इस नीति के तहत आदिवासी अपने अधिकार से वंचित हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि जिनका नाम 1932 के खतियान में दर्ज है, वही झारखंडी हैं. बाहर से नौकरी, व्यवसाय एवं आजीविका के लिए आये लोगों को झारखंडी नहीं माना जा सकता है. श्री लकड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद बाहरी हैं और बाहरी लोगों को झारखंडी बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा तेली व रौतिया समाज को आदिवासी का दर्जा दिलाने के प्रयास की भी भी निंदा की गयी. सरकार द्वारा प्रस्तुत स्थानीय नीति में संशोधन करने की मांग की गयी. धरना को रावेल लकड़ा, सुशील लकड़ा, विक्सल कोंगाड़ी, अनूप लकड़ा, नील जस्टीन बेक, सोहन बड़ाइक आदि ने संबोधित किया़
धरना में जॉनसन कंडुलना, होकोरियुस केरकेट्टा, राजेश डुंगडुंग, निकोलस किड़ो, कलेस्तुस टेटे, संजीत टोप्पो, सुबोध कुमार खाखा, बिरसा मुंडा, नीलम राकेश मिंज, बालक सिंह, मथुरा बा व प्रभा कुल्लू सहित अन्य उपस्थित थे.
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