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अपनी भूमिका में खरा नहीं उतर पा रहे सरकारी शिक्षक

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षक अशोक सिंह ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा पर जतायी चिंता सवाल : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित होने पर कैसा महसूस कर रहे हैं? जवाब : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए मुङो चुना जाना मेरे साथ-साथ इस क्षेत्र के शिक्षकों के लिए भी एक विशेष सम्मान की बात है. इस […]

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षक अशोक सिंह ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा पर जतायी चिंता
सवाल : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित होने पर कैसा महसूस कर रहे हैं?
जवाब : राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए मुङो चुना जाना मेरे साथ-साथ इस क्षेत्र के शिक्षकों के लिए भी एक विशेष सम्मान की बात है. इस सम्मान को मैं सारे शिक्षकों के साथ बांट कर ग्रहण करना चाहता हूं.
यह सम्मान एक शिक्षक के कार्य को पहचान देने के लिए मिल रहा है. इस सम्मान की मर्यादा बनाये रखना मेरे लिए अब बेहद जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को वे सेवानिवृत्त जरूर हो रहे हैं, लेकिन नयी पीढ़ी को सीख देने के लिये वह हमेशा प्रयासरत रहेंगे.
सवाल : सरकारी स्कूलों के प्रति उदासीनता क्यों ?
जवाब : सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन सरकार अब तक इसमें सफल नहीं हो पायी है. देश का विकास तभी हम मान सकते है, जब सभी बच्चों को हम शिक्षा से जोड़ सकेंगे. ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है. अच्छे पदों पर आसीन अधिकतर लोग सरकारी स्कूलों से ही निकले है.
सवाल : सरकारी व प्राइवेट स्कूल की पढ़ाई को किस नजरिये से देखते हैं ?
जवाब : सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में क्वालिटी है, लेकिन सरकारी स्कूल के शिक्षक अपनी भूमिका में खरे नहीं उतर पा रहे हैं. प्राइवेट स्कूल की तुलना में सरकारी स्कूल के शिक्षकों की जिम्मेदारी अधिक है, क्योंकि हम शिक्षादान के लिए बच्चों का चयन नहीं करते है, क्योंकि हम पर हर बच्चे को शिक्षा देकर उसे काबिल बनाने की जिम्मेदारी है.
सवाल : शिक्षा में शिक्षक, छात्र व अभिभावकों की भूमिका को किस रूप में लेते हैं ?
जवाब : शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के बीच में संबंधों की जो प्रगाढ़ता थी, उसमें कहीं न कही कमी आयी है. इसके लिए सभी एक समान दोषी हैं. ऐसी स्थिति में शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ गयी है. आज भी छात्र के भविष्य को गढ़ने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी शिक्षक की है, जबकि अभिभावकों की भूमिका केवल सहयोगी की है. अभिभावक व शिक्षकों के बीच भी तालमेल की कमी आयी है. इसमें सुधार की जरूरत है. व्यवस्था में सुधार के लिए शिक्षकों को आगे आ कर अभिभावकों से मिलने उनके घर तक जाना होगा.
सवाल : शिक्षा के क्षेत्र में हम पिछड़ क्यों रहे है, क्या बदलाव की जरूरत है?
जवाब : शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रयास हो रहा है, मगर उस हिसाब से सार्थक परिणाम नहीं आ रहे हैं. अशिक्षा गरीबी व कुंठा का कारण है. शिक्षकों को हमेशा समय से दो कदम आगे चलना चाहिए, ताकि वे विश्व में हो रहे बदलावों को समङों तथा नयी पीढ़ी में उत्सुकता पैदा कर इन बदलावों के लिये उन्हें तैयार करें.
सवाल : महंगी शिक्षा के प्रतिकूल प्रभाव को कैसे देखते हैं?
जवाब : महंगी शिक्षा के चलते गरीब विद्यार्थियों को उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिल पता है. यही कारण है कि वे प्रतिस्पर्धा से पिछड़ जाते हैं.
शिक्षण शुल्क में समरूपता लाने पर ही इस समस्या का समाधान हो पायेगा. सरकारी शिक्षण संस्थाओं में योग्य अनुभवी शिक्षकों की फौज है, लेकिन फिर भी हालत काफी खराब है, जिसे सुधारने से लिए शिक्षण व्यवस्था में कसावट लाने की जरूर है. मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर, ठान लिया जाये .

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