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ओके::पतौड़ा झील में विदेशी पक्षियों का लगने लगा जमावड़ा-प्रतिवर्ष जाड़े के मौसम में दर्जनों प्रजातियों की हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं-पिछले वर्ष दिसंबर माह में प्रवासी पक्षी व स्थानीय पक्षियों की लगभग 400 प्रजातियां पहुंची थी-अधिसूचित क्षेत्र में हो रही खेती -वन विभाग उदासीन 08 नवंबरफोटो संख्या-01 व 02-बरहरवा से जा रहा […]

ओके::पतौड़ा झील में विदेशी पक्षियों का लगने लगा जमावड़ा-प्रतिवर्ष जाड़े के मौसम में दर्जनों प्रजातियों की हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं-पिछले वर्ष दिसंबर माह में प्रवासी पक्षी व स्थानीय पक्षियों की लगभग 400 प्रजातियां पहुंची थी-अधिसूचित क्षेत्र में हो रही खेती -वन विभाग उदासीन 08 नवंबरफोटो संख्या-01 व 02-बरहरवा से जा रहा हैकैप्सन-पतौड़ा स्थित पक्षी अभ्यारण्य केंद्र व अधिसूचित क्षेत्र में होने वाली खेतीप्रतिनिधि, उधवाउधवा झील पक्षी अभ्यारण में नवंबर माह शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों का झुंड पहुंचने लगा है. बताते चले कि उधवा झील पक्षी अभ्यारण्य झारखंड का एकलौता पक्षी अभ्यारण्य है. उधवा झील एक महत्वपूर्ण वेटलेंड हैं. जिसका 5.65 वर्ग किमी क्षेत्र अभ्यारण्य के रूप में वर्ष 1991 से अधिसूचित है. यह वेटलेंड मुख्यत: दो भागों यथा ब्रह्म जमालपुर झील एवं पतौड़ा झील के मिलने से बना है. उधवा झील क्षेत्र में प्रतिवर्ष जाड़े के मौसम में दर्जनों प्रजातियों की हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. ठंड खत्म होने पर वापस चले जाते हैं. यहां प्रवासी पक्षी के अलावे स्थानीय पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां देखी जा सकती हैं. साथ ही झील में मछली की भी दर्जनों महत्वपूर्ण प्रजातियां पायी जाती हैं. हालांकि अब प्रवासी पक्षियों की संख्या में गिरावट होती जा रही है. वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि अधिसूचित क्षेत्र के आस-पास के इलाकों में घनी आबादी के कारण पक्षियों की संख्या में कमी आयी है. वहीं झारखंड सरकार की महालेखाकार मृदुला सप्रु प्रतिवर्ष ठंड के मौसम में यहां आती हैं. यहां वे पक्षियों की प्रजातियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करती हैं. उन्होंने पिछले वर्ष दिसंबर महीने में बताया था कि यहां प्रवासी पक्षी व स्थानीय पक्षियों की लगभग 400 प्रजातियां देखी गयी. उधवा झील के अधिसूचित क्षेत्र के कई एकड़ जमीन में अवैध रूप से खेती हो रही है. आस-पास के ग्रामीण अधिसूचित क्षेत्र में बिना किसी खौफ के खेती कर रहे हैं. वन विभाग इस पर चुप्पी साधे हुये है. इतना ही नहीं उधवा झील में रोजाना जाल लगाकर मछलियां पकड़ी जाती हैं. मछलियों के जाल से रात के अंधेरे का फायदा उठाकर प्रवासी पक्षियों को भी पकड़ लिया जाता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आस-पास के इलाके में साइवेरियन, ललसीरा(लालसर) जैसे प्रजाति के पक्षियों को चोरी कर स्थानीय बाजारों में बेचा जा रहा है. जिनकी कीमत 500 से 1500 होती है.क्या कहते हैं पदाधिकारीअधिसूचित क्षेत्र की नापी कराकर मुक्त कराया जायेगा. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पांच सुरक्षा बलों की स्वीकृति प्राप्त हुई है. सुरक्षा बल के रहने से अभ्यारण्य केंद्र की सुरक्षा पुख्ता की जायेगी. एनके पटेल, वन क्षेत्र पदाधिकारी

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