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मसीहियों की प्रताड़ना के मामले में झारखंड तीसरे नंबर पर, जानें राज्य में कब-कब हुई ऐसी घटना

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, मसीहियों की प्रताड़ना के मामले में कर्नाटक व तमिलनाडु में 30-30, बिहार में 24 व मध्य प्रदेश में 22 घटनाएं हुई हैं. यह फोरम अपने टोल फ्री नंबर के जरिये देश भर से इस तरह की घटनाओं की जानकारी लेता है.

मसीहियों पर हमलों के मामलों में झारखंड देश में तीसरे स्थान पर है. यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम द्वारा जारी 21 नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में वर्ष 2022 में ऐसी 48 घटनाएं हुईं, जबकि उत्तर प्रदेश में 149 और छत्तीसगढ़ में 115 मामले दर्ज हुए. यह फोरम अपने टोल फ्री नंबर के जरिये देश भर से इस तरह की घटनाओं की जानकारी लेता है.

फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक व तमिलनाडु में 30-30, बिहार में 24 व मध्य प्रदेश में 22 घटनाएं हुई हैं. वहीं, वर्ष 2021 में झारखंड में 46, उत्तर प्रदेश में 105, छत्तीसगढ़ में 91, कर्नाटक में 62, तमिलनाडु में 21, बिहार में 30 और मध्य प्रदेश में 39 घटनाएं हुई थीं. 21 नवंबर 2022 तक देश भर में 511 मामले दर्ज हुए.

हालांकि, रिपोर्ट जारी होने के बाद हाल ही में यूट्यूब चैनल न्यूज क्लिक को दिये अपने इंटरव्यू में फोरम के अध्यक्ष माइकल विलियम्स ने कहा है कि देश भर में 2022 के अंत तक ऐसी 550 घटनाएं हुई हैं. वर्ष 2022 के दिसंबर तक की पूरी रिपोर्ट फरवरी में आयेगी. वर्ष 2021 में देशभर में कुल 505 मामले दर्ज हुए थे. झारखंड में मसीहियों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ रांची में 15 जनवरी को विरोध महारैली निकाली गयी थी.

‘झारखंड मसीही परिवार’ संस्था के अध्यक्ष सह झारखंड क्रिश्चियन यूथ मूवमेंट के सलाहकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता दुर्गा नायक के अनुसार, देश भर में इस तरह के हमले बढ़े हैं. इनके पीछे दक्षिणपंथी संगठनों का हाथ है. वे धर्म का मुद्दा उछाल कर आदिवासियों, ग्रामीणों के बीच वैमनस्यता फैलाना चाहते हैं. ईसाइयों में भय का माहौल है, पर उनमें आक्रोश भी पनप रहा है. उन्होंने झारखंड की ऐसी कुछ घटनाओं की जानकारी दी है.

झारखंड के कुछ मामले :

दुर्गा नायक ने बताया कि 29 जनवरी 2022 को जब लोहरदगा निवासी सहदेव लोहरा घर के लिए नींव खोद रहा था, तो गांव वालों ने उसे रोक दिया. कहा कि जब तक ईसाई धर्म से घर वापसी नहीं करोगे, तब तक घर बनाने नहीं देंगे. आज तक उसका घर नहीं बना है.

फरवरी में हजारीबाग के दारु गांव में चार बिरहोर परिवार के 16 सदस्यों की वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ‘घर वापसी’ करायी गयी. 10 मार्च को बानापीड़ी की सुनीता उरांव को गांव के दबंगों ने धमकी दी कि तुमने ईसाई धर्म अपना लिया है. अब चैन से जीने और रहने नहीं देंगे. थाना में शिकायत की गयी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, अब पीड़िता ने कोर्ट में आवेदन दिया है.

20 मार्च को बुढ़मू के पंडरिया गांव में प्रार्थना सभा के दौरान एलियाजर जोजो व उनकी पत्नी को गांव से निकाल दिया गया. दो माह पहले ईसाई धर्म अपनाने के कारण टंडवा के सुरेश उरांव व उसकी पत्नी को गांव से निकाल दिया गया. 13 जुलाई को बरही थाना के करियातपुर गांव में प्रार्थना सभा के दौरान तीन लोगों को धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए पीटा गया. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. अब तक जमानत नहीं मिली है.

10 अक्तूबर को ठेठईटांगर थाना के कोनमेंजरा गांव में अपने एक गैर ईसाई रिश्तेदार के बेटे की बीमारी से चंगाई के लिए प्रार्थना के दौरान दो तीन लोगों ने बीमार बच्चे, उसकी मां और प्रार्थना कर रहे लोगों की बेरहमी से पिटाई की. प्रभावित परिवार के रिश्तेदार सुरेश अंगरिया, करमवती अंगरिया, दो साल की बेटी व शेखर अंगरिया पर धर्मांतरण कराने का मामला दर्ज कर जेल में डाल दिया गया.

जब उन्होंने मामला दर्ज करानेवाले से पूछताछ की, तो उसने बताया कि दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों ने प्राथमिकी करने के लिए कहा था. उसने केस वापस ले लिया है. 23 दिसंबर को जमानत मिल गयी. 21 दिसंबर को गढ़वा में क्रिसमस गैदरिंग के लिए जुटे लोगोंं पर हमला किया गया. वहीं, धर्मांतरण करा रहे एक व्यक्ति का हाथ तोड़ दिया गया.

क्रिसमस के आसपास काठीठांड़ के निकट तिलता बस्ती में एक महिला का शव दो दिनाें तक इसलिए नहीं दफनाने दिया गया, क्योंकि उसने ईसाई धर्म अपना लिया था. तीसरे दिन उसका पार्थिव शरीर रांची में दफनाया गया. बरही में भी एक व्यक्ति को धर्म के नाम पर मार कर फेंक दिया गया था, पर संयोग से वह जिंदा बच गया. इस मामले में कोई प्राथमिकी नहीं हुई है.

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