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टाटी पंचायत में लहलहा रही है फसल

रांची: टाटीसिलवे स्थित टाटी पंचायत के लगभग 25 एकड़ खेत अब हरे-भरे हैं. यहां के ग्रामीणों ने क्वालिटी सर्किल बनाकर अपने गांव की समस्याओं को समझा. सबसे बड़ी समस्या के रूप में खराब लिफ्ट इरिगेशन को चिह्न्ति किया गया. ग्रामीणों ने खुद की सहायता से लिफ्ट इरिगेशन की मरम्मत करायी. नतीजा इन खेतों में वर्षों […]

रांची: टाटीसिलवे स्थित टाटी पंचायत के लगभग 25 एकड़ खेत अब हरे-भरे हैं. यहां के ग्रामीणों ने क्वालिटी सर्किल बनाकर अपने गांव की समस्याओं को समझा. सबसे बड़ी समस्या के रूप में खराब लिफ्ट इरिगेशन को चिह्न्ति किया गया.

ग्रामीणों ने खुद की सहायता से लिफ्ट इरिगेशन की मरम्मत करायी. नतीजा इन खेतों में वर्षों बाद रबी व गरमा की फसल लगने लगी है. टाटी पंचायत के लिफ्ट इरिगेशन चैनल के कमांड वाले खेत में खरीफ फसल के बाद रबी मौसम की सब्जियां उगायी गयी.

वर्तमान में गेहूं, सरसों, लहसून व प्याज की फसल लगी हुई है. जिन खेतों में रबी की सब्जियां ली जा चुकी है, वहां अब गरमा फसल की सब्जियों की बुआई की गयी है. टाटी पंचायत के पूर्व मुखिया सीताराम पाहन, मनोज महतो, भुवनेश्वर महतो व माधुरी देवी आदि ने बताया कि टाटीसिलवे क्षेत्र में उषा मार्टिन सीएसआर व केजीवीके की सहायता से खेती-बाड़ी, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, क्षमता विकास आदि के क्षेत्र में कई कार्य किये जा रहे हैं. क्षमता विकास के तहत ग्रामीणों को गुणवत्ता समूह (क्वालिटी सर्किल) के तहत समस्याओं की पहचान करने व इसके समाधान के तरीके बताये गये. लिफ्ट इरिगेशन की मरम्मत क्वालिटी सर्किल की देन है.

29 गांवों में उषा मार्टिन सीएसआर का कार्य
वायर रोप निर्माता दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी उषा मार्टिन अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन, अपने सीएसआर कार्यक्रम के तहत नामकुम, अनगड़ा व कांके के 29 गांवों में कर रही है. अनगड़ा प्रखंड के पुरनापानी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उषा मार्टिन के सहयोग से उनके गांव में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र का संचालन हो रहा है. कई ग्रामीणों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है. साथ ही ट्रांसपैरेंट के फायदे भी बताये गये हैं. पुरनापानी की मनीषा देवी ने बताया कि प्रौढ़ शिक्षा केंद्र की शुरुआत जनवरी 2014 से की गयी है. पहले चरण में 35 वर्ष से अधिक उम्र की 10 महिलाओं को साक्षर बनाने का कार्य किया जा रहा है. महली टुडू टोला की झालो देवी ने बताया कि मशरूम उत्पादन में उन्हें घर बैठे रोजगार मिला है. 350 रुपये की लागत से मशरूम के 70 बैग तैयार किये गये. अब तक तीन हजार रुपये की कमाई हो चुकी है.

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