स्पेशल ब्रांच ने जिन नंबरों को सर्विलांस पर रखने की अनुमति मांगी है, उसमें नये नंबरों के अलावा कुछ पुराने नंबर (पहले से सर्विलांस पर हैं) भी हैं. गृह सचिव ने यह भी पूछा है कि जिन नये नंबरों को सर्विलांस पर लगाना है, उसका ठोस कारण या औचित्य क्या है. अगर इन नंबरों का सीडीआर पहले से निकाला गया है, तो इसके लिए टेलिग्राफ एक्ट के नियमों का पालन किया गया है या नहीं. अगर संबंधित नंबर किसी कांड से जुड़े हुए हों, तो उस कांड का ब्योरा भी उपलब्ध करायें. सूत्रों ने बताया कि गृह सचिव द्वारा तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगे जाने के बाद विभिन्न जिलों और स्पेशल ब्रांच में मोबाइल सर्विलांस का काम मात्र कुछ नंबरों तक सिमट कर रह गया है.
जानकारी के मुताबिक राज्य की सुरक्षा एजेंसी द्वारा किसी नंबर को सर्विलांस पर रखने का आदेश गृह सचिव जारी करते हैं. स्पेशल ब्रांच के एडीजी इसके लिए चीफ नोडल अफसर होते हैं. टेलिग्राफ एक्ट के मुताबिक जिन नंबरों को सर्विलांस पर रखा जाना होता है, उसके बारे में राज्य की पुलिस सर्विलांस पर रखने की वजह बताती है. नंबरों को सर्विलांस पर रखने से सुरक्षा एजेंसियों को क्या फायदा हुआ, समय-समय पर इसकी समीक्षा किये जाने का प्रावधान है. झारखंड में समीक्षा का काम लंबे समय से बंद था.
यही कारण है कि कई बार जिला स्तर पर और स्पेशल ब्रांच के स्तर पर राजनीतिक व अन्य कारणों से भी कई लोगों के फोन को सर्विलांस पर रखे जाने की बात कही जाती रही है. विधायक सरयू राय (अब मंत्री) ने विधानसभा में भी इससे संबंधित आरोप तत्कालीन सरकार पर लगाये थे. वर्ष 2016 में केंद्रीय एजेंसी ने भी राज्य पुलिस पर उसके अधिकारियों के फोन टेप करने की शिकायत की थी.