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सौंदर्यीकरण योजना को लेकर निगम की कार्यशैली पर उठने लगे सवाल, डिस्टिलरी पुल के नीचे जब चेक डैम ही बनाना था, तो तोड़ा क्यों

रांची नगर निगम डिस्टिलरी तालाब का सौंदर्यीकरण करा रहा है. इसके दूसरे चरण में डिस्टिलरी पुल के नीचे चेक डैम बनाया जाना है. यहां गौर करने वाली बात है कि सौंदर्यीकरण से पहले डिस्टिलरी पुल के नीचे एक चेक डैम पहले से ही मौजूद था, जिसे नगर निगम ने सौंदर्यीकरण से पहले तोड़ दिया. इधर, […]

रांची नगर निगम डिस्टिलरी तालाब का सौंदर्यीकरण करा रहा है. इसके दूसरे चरण में डिस्टिलरी पुल के नीचे चेक डैम बनाया जाना है. यहां गौर करने वाली बात है कि सौंदर्यीकरण से पहले डिस्टिलरी पुल के नीचे एक चेक डैम पहले से ही मौजूद था, जिसे नगर निगम ने सौंदर्यीकरण से पहले तोड़ दिया. इधर, डिस्टिलरी तालाब बचाने की मुहिम में लगे लोगों ने सवाल किया है कि जब पुल के नीचे चेकडैम बनाना ही था, तो पहले से बने चेकडैम को आखिर तोड़ा क्यों गया?
रांची: रांची नगर निगम डेढ़ करोड़ की लागत से डिस्टिलरी तालाब का सौंदर्यीकरण करवा रहा है. इसके लिए डिस्टिलरी तालाब को सुखा कर उसमें मिट्टी भरी जा रही है. यहां निगम ने एक आर्टिफिशियल पौंड (तालाब) बनाया है, जिसमें बोरिंग का शुद्ध पानी जमा करने की योजना है. दो चरणों में होनेवाले सौंदर्यीकरण के दूसरे चरण का भी डीपीआर बन गया है. इसमें पुल के निचले हिस्से में एक चेक डैम का निर्माण की योजना है.

दूसरे चरण में बननेवाले चेक डैम और अन्य निर्माण पर 6.50 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस चेकडैम में पानी कहां जमा होगा? दरअसल डिस्टिलरी तालाब में पहले जहां पानी जमा होता था, वहां सौंदर्यीकरण के लिए मिट्टी भर दी गयी है.
पानी की किल्लत हुई तो बना डिस्टिलरी तालाब
पुराने लोगों के अनुसार रांची में वर्ष 1890 के अासपास गंभीर जल संकट हुआ था. बारिश नहीं होने के कारण नदी, तालाब अौर ज्यादातर घरों के कुएं भी सुख गये थे. इस हालत में कोकर व लालपुर के स्थानीय लोग लालपुर निवासी राय बहादुर ठाकुर दास के पास गये. लोगों ने उनसे आग्रह किया था कि अगर डिस्टिलरी तालाब के पानी को रोका जाये, तो अासपास के लोगों को जल संकट से निजात मिल सकती है. लोगों के आग्रह पर ही वर्ष 1901 में ठाकुर दास ने डिस्टिलरी में दो चेक डैमों का निर्माण करवाया. एक लोअर डैम तथा दूसरा अपर डैम. लोअर डैम डिस्टिलरी पुल के समीप बनाया गया. इस डैम में अधिक से अधिक पानी का संग्रह हो इसके लिए वर्ष 1908 में ठाकुर दास के ही परिवार से जुड़े राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल ने निचले चेक डैम की दीवार को और ऊंचा करवा दिया. स्व जायसवाल के परपोते आदित्य विक्रम जायसवाल ने बताया कि लोअर डैम का डिजाइन अंग्रेज आर्किटेक्ट ने तैयार किया था. इसमें स्विफ सिस्टम से गेट लगा हुआ था. जब भी इस डैम में पानी भरता था, गेट खोल दिया जाता था. पर वर्ष 2016 में सौंदर्यीकरण के नाम पर निगम ने डिस्टिलरी तालाब के साथ-साथ इस गेट काे भी तोड़ दिया.
आज नगर निगम की टीम करेगी डिस्टिलरी तालाब का मुआयना
रांची नगर निगम की टीम शुक्रवार सुबह आठ बजे डिस्टिलरी तालाब का मुआयना करेगी. इस टीम का नेतृत्व मेयर आशा लकड़ा करेंगी. टीम यहां तालाब के सौंदर्यीकरण में हो रही गड़बड़ी की शिकायतों की जांच करेगी. इस दौरान यह देखा जायेगा कि यहां तालाब की जमीन पर सब्जी मार्केट का निर्माण किया जा सकता है या नहीं. इसके अलावा यह भी देखा जायेगा कि डिस्टिली पुल के नीचे में चेकडैम बनाना कहां तक उपयोगी होगा.
करम नदी को बचाने की पहल करें मेयर : डॉ अशाेक नाग
झामुमो बुद्धिजीवी मोरचा के प्रदेश महासचिव डॉ अशोक नाग ने मेयर आशा लकड़ा को पत्र लिख कर करम नदी को पुनर्जीवित करने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि करमटाेली तालाब से डिस्टिलरी तालाब तक करम नदी बहती थी. इससे नदी के असपास के लोगों को पेयजल की किल्लत नहीं होती थी. परंतु अतिक्रमण के कारण आज इस नदी का अस्तित्व ही समाप्त होने को पहुंच गया है. इसलिए करम नदी से लेकर डिस्टिलरी तालाब तक के क्षेत्र का सर्वे कराया जाये. ताकि यह नदी फिर से एक बार पुनर्जीवित हो सके.

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