रांची: दिल्ली डायसिस के बिशप स्टेफानोस इपीसकोपावा ने कहा है कि संयुक्त परिवार की अवधारणा से ही बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास होगा. उन्होंने कहा है कि एकल परिवार में बिखराव ज्यादा हो रहे हैं. भौतिकवादी और बदलती दुनिया में लोग पैसे की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं. भगवान बुद्ध ने कहा था कि अत्याधिक महात्वाकांक्षी होने से परेशानियां बढ़ती हैं.
प्रभात खबर संवाददाता से शुक्रवार को बातचीत के क्रम में बिशप स्टेफानोस ने कहा कि भौतिकवादी दुनिया से इतर पुराने दौर में आने की जरूरत है. जहां दादा-दादी, नाना-नानी के उपदेश और आदर्श से बच्चों का जीवन और सुखमय तथा बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन और अन्य सुविधाओं से परिवार के सभी सदस्य माता-पिता, बच्चे, बुर्जुग अलग-अलग हो गये हैं. किसी के पास अपनों के लिए समय नहीं है. परिवार में संवादहीनता जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है और नकारात्मक चीजें अधिक भर रही हैं.
सकारात्मक सोच, अनुशासन और ईश्वर के प्रति आदर से इन बुराईयों से निजात पायी जा सकती है. उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन को आध्यात्मिकता से जोड़ने की जरूरत है.संत थॉमस स्कूलों में बच्चों को सही न्याय, कारण के लिए जोखिम लेने का पाठ पढ़ाया जाता है. स्कूल में अनुशासन और नैतिकता का पाठ भी कूट-कूट कर पढ़ाया जाता है. बच्चों को बताया जाता है कि जीवन में कई जोखिम लेने पड़ते हैं, चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इससे ही वे भविष्य में गुणवत्तायुक्त जीवन- यापन कर सकते हैं.
18 राज्यों का काम देखते हैं बिशप स्टेफानोस : कोच्चि में जन्मे बिशप स्टेफानोस दिल्ली डायसिस कार्यालय से 18 राज्यों का काम देखते हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा को छोड़ उत्तर-पूर्वी राज्य, आंध्रप्रदेश और हिंदी भाषी राज्य इनके कार्यक्षेत्र में आता है. मारथोमा चर्च से संचालित होनेवाले संस्थानों की देख-रेख भी इनके जिम्मे है. रांची, बिलासपुर, अंबिकापुर, कोरबा, चेन्नई, मुंबई सांताक्रूज, वेनोमी, संत थॉमस माउंट इनका कार्यक्षेत्र रहा है. रांची के संत थॉमस स्कूल में प्राचार्य रहते हुए इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, प्रतिभा उड़ान समिति, इंटरनेशनल मिलेनियम गोल्ड स्टार, विजयश्री पुरस्कार भी मिल चुका है.