सामान्य प्रक्रिया के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में भी सेना सहित अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीन में बिकनेवाली सामग्रियों को वैट से मुक्त करने का प्रस्ताव वाणिज्यकर विभाग ने तैयार किया था. पर राज्य के एक वरीय अधिकारी ने छूट के प्रस्ताव पर सहमति देने के बदले कुछ सवालों के जवाब मांगा. संबंधित अधिकारी ने सेना सहित अर्द्धसैनिक बलों से यह जानना चाहा कि उनके यहां कितने लोग हैं और कैंटीन का टर्नओवर कितना है?
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सेना ने सरकार को अपनी संख्या बताने से किया इनकार
रांची: सेना ने झारखंड सरकार को अपने अधिकारियों और जवानों की कुल संख्या बताने से इनकार किया है. इससे सेना की कैंटीन को वैट में छूट देने का मामला उलझा हुआ है. राज्य सरकार सेना सहित अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीन में बिकनेवाले सामान को टैक्स से छूट देती रही है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में भी […]
रांची: सेना ने झारखंड सरकार को अपने अधिकारियों और जवानों की कुल संख्या बताने से इनकार किया है. इससे सेना की कैंटीन को वैट में छूट देने का मामला उलझा हुआ है. राज्य सरकार सेना सहित अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीन में बिकनेवाले सामान को टैक्स से छूट देती रही है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में भी सरकार ने सेना सहित अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीन में बिकनेवाले सामान को वैट से मुक्त किया था. वैट में दी गयी यह छूट एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक के लिए प्रभावी थी.
सुरक्षा कारणों से नहीं बता सकते अपनी संख्या : सरकार द्वारा उठाये गये इस सवाल के जवाब में सेना ने अपनी संख्या बताने से इनकार किया है. सेना की ओर से झारखंड सरकार को यह सूचित किया गया है कि वह सुरक्षा के कारणों से अपनी संख्या नहीं बता सकते हैं. सेना ने अपने सभी कैनटीनों का टर्नओवर करीब 400 करोड़ रुपये बताया है. इसमें से करीब 200 करोड़ रुपये का सामान बिहार जाता है.
राज्य विभाजन से पहले दानापुर आर्मी कैंटीन को भी भेजा जाता था सामान
राज्य विभाजन से पहले भी रामगढ़ डिपो से बिहार के दानापुर आर्मी कैंटीन के लिए सामान भेजा जाता था. राज्य विभाजन के बाद दानापुर को सामान भेजना इंटर स्टेट सेल की श्रेणी आ गया. इसलिए इस पर दो प्रतिशत की दर से 4.5 करोड़ रुपये बतौर वैट सरकार को भुगतान किया गया है. सेना की ओर से यह भी कहा है कि सेना में कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी या जवान देश के किसी भी कैंटीन से सामान ले सकते हैं. सरकार द्वारा उठाये गये सवाल के जवाब में सीआरपीएफ की ओर से कैंटीन से लाभान्वित होनेवालों की संख्या करीब 25000 बतायी गयी है.
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