पार्टी की मांग है कि बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शराबबंदी लागू हो. प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो ने कहा कि झारखंड ने कानून नाम की कोई चीज नहीं बची है. धनबाद में दो-दो बड़ी घटनाएं हुईं. वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. झारखंड सरकार ने महिला व जनता की भावनाओं के खिलाफ शराब बेचने का फैसला लिया है. सरकार के पास विजन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे से शराब दुकानों को बंद करने का फैसला सुनाया है. सरकार में शामिल मंत्री के साथ-साथ सांसद भी सरकार के शराब बेचने के फैसले का विरोध कर रहे हैं. फिर भी मुख्यमंत्री रघुवर दास शराब बेचने के फैसले पर अडिग हैं. सह प्रभारी अरुण कुमार ने कहा कि झारखंड में शराबबंदी को लेकर जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक धरना दिया जायेगा. राज्यसभा सदस्य हरिवंश ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले से विभिन्न राज्यों के लोग उत्साहित हैं.
शराब से समाज के सभी वर्ग खास कर महिलाएं त्रस्त हैं, लेकिन झारखंड सरकार शराबबंदी करने की बजाय, इसे खुद बेचने का फैसला लिया है, जो अनुचित कदम है. उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए जनता के हितों को ध्यान में रख कर काम करने की जरूरत है. नये ढंग से संगठन को मजबूत बनायें. विभिन्न दलों, सामाजिक संगठनों को आमंत्रित करें. बैठक में पूर्व मंत्री सुधा चौधरी, कृष्णानंद मिश्र, अशोक चौधरी, भगवान सिंह, जफर कमाल, धनंजय कुमार सिन्हा, श्रवण कुमार, संजय सहाय, रमेश सिंह, पिंटू कुमार सिंह, आफताब जमील, अशोक मंडल, जय सिंह यादव समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे.