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सरकार पढ़ायेगी बच्चों को वैदिक गणित

पहल. राजधानी के 100 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होगी शुरुआत सुनील कुमार झा रांची : राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को वैदिक गणित पढ़ाया जायेगा. अगले शैक्षणिक सत्र से इसकी शुरुआत की जायेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना इसके लिए दिल्ली की एक संस्था का सहयोग लेगी. पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट तक तहत […]

पहल. राजधानी के 100 स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होगी शुरुआत
सुनील कुमार झा
रांची : राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को वैदिक गणित पढ़ाया जायेगा. अगले शैक्षणिक सत्र से इसकी शुरुआत की जायेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना इसके लिए दिल्ली की एक संस्था का सहयोग लेगी. पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट तक तहत इसे शुरू किया जायेगा. प्रथम चरण के लिए राजधानी के सौ स्कूलों के बच्चों को वैदिक गणिक पढ़ायी जायेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना ने इसके लिए जिला शिक्षा अधीक्षक से स्कूलों का नामा देने को कहा है.
स्कूलों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. अगले माह चयनित स्कूलों का नाम जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा झारखंड शिक्षा परियोजना को भेज दिया जायेगा. स्कूल के नाम के साथ विद्यालय में बच्चों की संख्या, शिक्षक व पठन-पाठन से संबंधित अन्य संसाधनों की भी जानकारी देने को कहा गया है. स्कूलों का नाम प्राप्त होने के बाद झारखंड शिक्षा परियोजना संस्था के साथ एमओयू करेगी. इसके लिए कोर्स मेटेरियल भी संबंधित संस्था द्वारा ही उपलब्ध करायी जायेगी. संस्था के प्रतिनिधि की ओर से वैदिक गणित में पढ़ने की जानकारी भी संबंधित स्कूल के शिक्षक व विद्यार्थियों को दी जायेगी.
इसके लिए अलग से एक किताब बच्चों को दी जायेगी. प्रथम चरण में कक्षा चार से छह के बच्चों को वैदिक गणित पढ़ायी जायेगी. छह माह के बाद इसकी समीक्षा होगी. समीक्षा में अगर रिजल्ट सकारात्मक पाया गया, तो इसे अन्य स्कूलों में लागू किया जायेगा.
वैदिक गणित की विशेषता : वैदिक गणित का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. वैदिक गणित भारत की प्राचीन गणित है. वैदिक गणित एक तरह से 16 सूत्रों पर आधारित है. इन सूत्रों को आप चाहें तो एक तकनीक या ट्रिक भी कह सकते हैं.
इस तकनीक की मदद से सवाल के साथ ही उसका जवाब भी हमारे दिमाग में आ जाता है. वैदिक गणित के सूत्र आसानी से समझ में आ जाते हैं. इसका उपयोग काफी सरल होता है.
ये सूत्र गणित की सभी प्रभागों के सभी अध्याय पर लागू होता है. जटिल गणितीय प्रश्नों को हल करने में प्रचलित विधियों की तुलना में वैदिक गणित विधि से काफी कम समय लगता है. छोटी उम्र के बच्चे भी सूत्रों की सहायता से प्रश्नों का मौखिक हल कर उत्तर बता सकते हैं. वैदिक गणित का संपूर्ण पाठ्यक्रम प्रचलित गणित पाठ्यक्रम की तुलना में काफी कम समय में पूर्ण किया जा सकता है .
कई राज्यों में हो रही है पढ़ाई : आज देश के कई राज्यों के विद्यालयों में वैदिक गणित के माध्यम से बच्चों को गणित पढ़ाया जा रहा. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के मन से गणित का डर दूर भगाना है. इसके माध्यम सरल तरीकों से बच्चों को गणित समझाया व पढ़ाया जा सकता है.
जिससे बच्चे गणित की पढ़ाई के प्रति आकर्षित होते हैं. वैदिक गणित बीजगणित, त्रिकोणमिति व कैलकुलस से जुड़े सवालों को हल करने में भी उपयोगी है. खगोल व अंकगणित से संबंधित गणनाओं के लिए भी वैदिक गणित बेहद उपयोगी है. इंग्लैंड, अमेरिकग्व ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बच्चों को वैदिक गणित सिखाने वाले स्कूल भी खुल गये हैं.
कक्षा आठ के 58 फीसदी बच्चे नहीं जानते भाग देना
प्रथम संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट असर 2016 के अनुसार झारखंड में बच्चे गणित में काफी कमजोर हैं. कक्षा आठ के 58 फीसदी बच्चे भाग देना करना नहीं जानते.
राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा आठ के 42 फीसदी बच्चे ही भाग देना जानते हैं, जबकि कक्षा सात के 38.3, कक्षा छह के 32.6, कक्षा पांच के 23.5, कक्षा चार के 15.7, कक्षा तीन के 8.1 व कक्षा दो के मात्र 3.4 फीसदी बच्चे ही भाग देना जानते हैं. कक्षा एक के 48.1 फीसदी बच्चों को नौ तक के अंक की पहचान नहीं है. कक्षा एक के मात्र 3.7 फीसदी बच्चे, दो के 9.5 फीसदी, तीन के 12.3 फीसदी, चार के 18.1 फीसदी व कक्षा पांच के 20 फीसदी बच्चे ही घटाव जानते हैं.

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