यह स्थिति इसलिए बनी है, क्योंकि जिला मुख्यालय में नक्शों का रख-रखाव करनेवाले कर्मचारियों की कमी है. नक्शे काफी पुराने होने की वजह से उनके पन्ने सड़ चुके हैं. रख-रखाव के अभाव में ज्यादातर नक्शे फटे हुए हैं. हैरानी की बात यह है कि इन्हीं नक्शों के अाधार पर मौजूदा समय में सर्वे का काम भी चल रहा है. वर्ष 1928-29 में म्यूनिसिपल सर्वे का एक भी नक्शा जिला में उपलब्ध नहीं है.
शहर अंचल के हातमा, चड़री, रांची, लालपुर, कोनका, सिरम, हिंदपीढ़ी का रिवाइज्ड सर्वे का भी मूल नक्शा उपलब्ध नहीं है. इधर, नक्शा नहीं होने की वजह से कई रैयतों को परेशानी हो रही है. उन्हें नक्शा नहीं मिल रहा है. गांव के लोग नक्शा लेने के लिए लगातार कार्यालय की दौड़ लगा रहे हैं. मूल नक्शा नहीं होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है. इस संबंध में अमिन कपिल कुमार राम ने बताया कि मूल नक्शा के नहीं रहने से लीज की जमीन की जांच सही तरीके से नहीं हो पा रही है. चूंकि, वर्ष 1928-29 में सभी जगहों का म्यूनिसपल सर्वे किया गया था. उसी के आधार पर लीज की जमीन की प्लॉटिंग की गयी है उसे चिह्नित करने में भी परेशानी हो रही है. बताया गया कि वर्ष 1928-29 के म्यूनिसिपल सर्वे के आधार पर ही खासमहल का सर्वे कराया गया था. उसी के आधार पर जमीन को प्लॉटिंग भी की गयी थी. उसे ही खासमहल प्लॉट कहा जाता है.