यह भी देखा गया कि पंचायतों में चल रही योजनाअों का बोर्ड कहीं नहीं लगा है. वहीं मनरेगा से संबंधित सभी सात रजिस्टर (पंजी) में से किसी रजिस्टर को मेंटेन नहीं किया गया था. इस पर मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने नाराजगी जतायी. उन्होंने नामकुम बीडीअो गौरीशंकर शर्मा सहित पंचायत व रोजगार सेवकों को सुधर जाने को कहा. जन सुनवाई के दौरान मनरेगा के तहत एक परिवार को काम न देने व बोल्डर सोलिंग में गड़बड़ी सहित अन्य शिकायतें सुनी गयीं तथा निर्णायक मंडली ने इस पर अपना निर्णय भी दिया.
सुनवाई के दौरान सभी पंचायतों से संबंधित कागजात भी उपलब्ध नहीं थे. इसे गंभीर मामला माना गया. निर्णायक मंडली में हुड़वा की ग्राम प्रधान चंपा टोप्पो, मुखिया जॉकिन लिंडा तथा वार्ड सदस्य रोशन खातून व संजिदा खातून शामिल थे. वहीं जन सुनवाई में मनरेगा कार्यों के सामाजिक अंकेक्षण कार्य के राज्य समन्वयक गुरजीत सिंह, हुड़वा पंचायत की मुखिया अनिता कच्छप, सिनी की परियोजना निदेशक संघमित्रा आचार्य व सुष्मिता मंडल मौजूद थे.