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लीज, खनन उत्पाद और वैट में चोरी, सरकार को 11676 करोड़ का नुकसान
रांची : पिछले पांच सालों में लीज, खनन, उत्पाद और वैट में चोरी से सरकार को कुल 11676 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है. डीवीसी व टाटा ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर जमीन बेची और सब लीज पर दिया है. इन दोनों कंपनियों ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर सरकार को 4377.48 करोड़ […]
रांची : पिछले पांच सालों में लीज, खनन, उत्पाद और वैट में चोरी से सरकार को कुल 11676 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है. डीवीसी व टाटा ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर जमीन बेची और सब लीज पर दिया है. इन दोनों कंपनियों ने लीज शर्तों का उल्लंघन कर सरकार को 4377.48 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. 96 एकड़ जमीन का भी पता नहीं है. डीवीसी की ओर से लीज शर्तों का उल्लंघन किये जाने से सरकार को 30 करोड़ का नुकसान हुआ है. महालेखाकार सी नेडुन्चेलियन ने सीएजी की रिपोर्ट की जानकारी देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में उक्त बातें कहीं. उप महालेखाकार अजय कुमार झा ने इस पर विस्तृत प्रकाश डाला.
टाटा ने 469.38 एकड़ जमीन 1279 लोगों व उद्योगों को दे दी : उन्होंने बताया : टाटा और डीवीसी ने सरकार की अनुमति के बिना ही सब लीज पर 469.38 एकड़ जमीन 1279 लोगों व उद्योगों को दे दी.
टाटा ने लीज की जमीन में से 4.31 एकड़ 23 सेल डीड के माध्यम से बेच दी. लीज नवीकरण के समय अतिक्रमित 86 बस्ती की जमीन को लीज क्षेत्र से हटा दी. राज्य सरकार ने टाटा को 12708.59 एकड़ जमीन लीज पर दी थी. 2005 में टाटा ने सिर्फ 10852.27 एकड़ जमीन के ही लीज नवीकरण के लिए आवेदन दिया. सरकार ने इसे बिना किसी कारण ही स्वीकार कर लिया. टाटा लीज क्षेत्र से नवीकरण के समय हटायी गयी जमीन का पूर्णत: अतिक्रमण कर लिया गया है. इसे 86 बस्ती के नाम से जाना जाता है. अतिक्रमित जमीन मेें से 1111.04 एकड़ पर 17,986 भवन बने हुए हैं. शेष 675.85 एकड़ जमीन पर नाली, सड़क, धार्मिक स्थल, स्कूल आदि बने हुए हैं. जमीन के अतिक्रमण से सरकार को 248.77 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. सरकार ने इस जमीन को खाली कराने की दिशा में काेई कार्रवाई नहीं की है.
122.82 एकड़ पर सीमेंट प्लांट बनाया : रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा स्टील ने लीज क्षेत्र में से 122.82 एकड़ पर सीमेंट प्लांट बनाया. 1999 में लाफार्ज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को एक व्यापारिक एकरारनामे के तहत सौंप दिया. एकरारनामा मेें इस बात का उल्लेख किया गया था कि लाफार्ज इसे 550 करोड़ रुपये में लेने को तैयार है. नवंबर 1999 में सब रजिस्ट्रार ने सेल डीड संख्या 9313 के सहारे इस सीमेंट प्लांट को लाफार्ज के नाम कर दिया. इससे सरकार को 26.76 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ.
59 इकाइयों व संस्थाओं को जमीन सबलीज पर दी
रिपोर्ट में सरकार की अनुमति से टाटा द्वारा दूसरी इकाइयों और संस्थाओं को अपनी जमीन सबलीज पर देने और सबलीजधारकों की ओर से लगान आदि नहीं देने की वजह से 195.31 करोड़ के नुकसान की बात कही गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा ने सरकार की सहमति के बाद 59 इकाइयों व संस्थाओं को जमीन सबलीज पर दी. इनमें फारचुन होटल, टाटा रॉबिंस, टाटा ब्ल्यू स्कोप और एक्सएलआरआइ सहित 59 इकाइयां शामिल हैं.
जिंदल और रेलवे ने भी जमीन पर कब्जा किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि चाईबासा में जमीन से जुड़े दस्तावेज की जांच में जिंदल और रेलवे द्वारा भी सरकारी जमीन पर कब्जा किये जाने का मामला पकड़ में आया था. सरकारी दस्तावेज के अनुसार, 1979 में 463.69 एकड़ जमीन ‘सेल’ को लीज पर दी गयी थी. 2009 में लीज सिर्फ 378.90 एकड़ जमीन का ही नवीकरण हुआ. 84.78 एकड़ जमीन को लीज एरिया से बाहर कर दिया गया. इस जमीन पर रेलवे और जिंदल ने अतिक्रमण कर लिया था. रेलवे से 72.79 एकड़ और जिंदल ने रेलवे साइडिंग बनाने के लिए 12 एकड़ जमीन पर कब्जा किया था. पीएजी के पत्र के बाद सरकार ने जिंदल स्टील प्लांट से 12 एकड़ जमीन मुक्त करा ली. पर रेलवे का कब्जा अब भी है. वर्ष 2009-15 तक जमीन पर कब्जा रहने की वजह से सरकार को सलामी और लगान के रूप में 28.73 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. रांची में लीज से जुड़े मामलों की जांच में पाया गया कि सरकुलर रोड स्थित सुरभि अपार्टमेंट सरकारी जमीन पर बना है. इस जमीन का गलत तरीके से हस्तांतरण किया गया. राज्य के नौ जिलों में पाया गया कि 5019 एकड़ में से सिर्फ 2547 एकड़ लीज का ही नवीकरण हो पाया है. इससे सरकार को 3965 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है.
वेस्ट बोकारो कोलियरी ने 446 करोड़ की राॅयल्टी नहीं दी
उप महालेखाकार ने बताया कि वेस्ट बोकारो कोलियरी ने सरकार को पूरी राॅयल्टी नहीं दी है. एजी द्वारा इस मामले को पकड़े जाने के बाद सरकार ने इस राशि की वसूली के लिए डिमांड नोटिस जारी किया है. राज्य के 412 व्यापारियों से संबंधित मामलों की जांच में पाया गया कि इन व्यापारियों ने 1226 करोड़ के टैक्स की चोरी की है. बिजली के काम में लगे ठेकेदारों व अन्य के दस्तावेज की जांच में पाया गया कि इन्होंने अपनी व्यापारिक गतिविधियां छिपायी. इससे सरकार के 1000 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ. वाणिज्यकर विभाग का व्यापारियों पर बकाया लगातार बढ़ता जा रहा है. विभाग के पास न्यायिक विवाद में फंसी राशि का भी सही ब्योरा नहीं है. विभाग ने 722 करोड़ के विवादित मामले होने की बात कही थी. ऑडिट के दौरान वाणिज्यकर के 10 अंचलों में ही 1360 करोड़ रुपये के टैक्स पर न्यायिक विवाद होने की बात सामने आयी. टैक्स विवाद के मामलों को निबटाने के लिए दो साल का समय सीमा निर्धारित है. 418 विवादित मामलों को निबटारा निर्धारित समय पर नहीं होने की वजह से ये मामले टाइमबार हो गये हैं. इससे इन मामलों में निहित 275 करोड़ रुपये की वसूली की कोई संभावना नहीं है.
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