रांची: दूसरे राज्यों में पलायन करनेवाले मजदूरों के लिए सरकार नीति बनायेगी. पलायन करने वाले वैसे मजदूर, जिनकी काम के दौरान दुर्घटना हो जाती है, उनके लिए मुआवजा की व्यवस्था की जायेगी. सोमवार को सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि पलायन करने वाले मजदूरों की जानकारी सरकार को नहीं मिल पाती है. राज्य में टूटी-फूटी व्यवस्था है. इसे दुरुस्त किया जायेगा. यह एक संवेदनशील मामला है. सरकार एक नीति बनाने पर विचार कर रही है.
मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान विधायक अनंत प्रताप देव ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में मामला उठाते हुए कहा कि झारखंड के लोग बाहर काम करने जाते हैं. खतरनाक कार्यो में लगाये जाते हैं. इससे उनकी जान भी जाती है. ऐसे मजदूरों को मुआवजा मिलना चाहिए. सरकार एक नीति बनाये. माले विधायक विनोद सिंह ने इस मामले में सदन में बताया कि सरकार की ओर से ऐसे दुर्घटना में एक लाख रुपये मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन इसके लिए लाल कार्ड पर जिला में रजिस्ट्रेशन कराने की बाध्यता है. ऐसे 12 मजदूरों की सूची सरकार को भेजी है, लेकिन मुआवजा नहीं मिल रहा है. जिला में रजिस्ट्रेशन का प्रावधान से मजदूरों को परेशानी हो रही है. सरकार कोई दूसरी व्यवस्था कायम करे.
इस पर मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि विधायक ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है. जिला में मजदूरों को ले जाने वाले ठेकेदार रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं. बैक डोर से मजदूरों को ले जाते हैं. बाहर जानेवाले मजदूरों की जानकारी सरकार के पास नहीं रहती है. हमारे क्षेत्र से भी सैकड़ों लोग रोजी-रोटी की तलाश में जाते हैं. सरकार के पास मामला संज्ञान में आता है, तो मजदूरों को दुर्घटना के बाद लाने की व्यवस्था की जाती है. इस व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है. दूसरी ओर मजदूरों के बीच भी जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है. मजदूरों को बताना होगा कि वे अपना रजिस्ट्रेशन करा कर जायें.