अनुशंसा अस्वीकृत. गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को बताया
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नक्सली आशीष को मारने वालों को नहीं मिलेगा इनाम
अनुशंसा अस्वीकृत. गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को बताया मुख्य सचिव ने पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा को अस्वीकृत कर दिया है. गुमला के पालकोट में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था आशीष. रांची : माओवादी नेता आशीष यादव को मार गिरानेवाले पुलिस अधिकारियों व जवानों को इनाम नहीं मिलेगा. गुमला के पालकोट […]
मुख्य सचिव ने पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा को अस्वीकृत कर दिया है. गुमला के पालकोट में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था आशीष.
रांची : माओवादी नेता आशीष यादव को मार गिरानेवाले पुलिस अधिकारियों व जवानों को इनाम नहीं मिलेगा. गुमला के पालकोट थाना क्षेत्र के कोढ़ाडीह में 11 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में आशीष यादव को मारा गया था. मुख्य सचिव ने पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा को अस्वीकृत कर दिया है.
पुलिस मुख्यालय ने आशीष यादव पर 25 लाख रुपये इनाम की घोषणा करने के लिए सरकार को अनुशंसा भेजी थी. ताकि मुठभेड़ में शामिल पुलिस व सीआरपीएफ के अधिकारियों व जवानों को इनाम की राशि दी जा सके. पुलिस मुख्यालय की अनुशंसा पर गृह विभाग के अधिकारियों ने यह तर्क दिया कि किसी भी नक्सली या अपराधी पर इनाम की घोषणा करने का उद्देश्य यह होता है कि वह पकड़ा जाये या मार गिराया जाये. जो नक्सली मुठभेड़ में मारा जा चुका है,
उस पर इनाम की घोषणा का औचित्य नहीं है. गृह विभाग की इस टिप्पणी पर मुख्य सचिव ने सहमति दी. जिसके बाद गृह विभाग ने इनाम की घोषणा नहीं किये जाने की जानकारी पुलिस मुख्यालय को दे दी है.
संगठन में स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य था आशीष
एमबीए पास आशीष यादव था सैक सदस्य
आशीष यादव भाकपा माओवादी संगठन में स्पेशल एरिया कमेटी (सैक) सदस्य था. वह मूल रूप से जहानाबाद जिला का रहनेवाला था. भाकपा माओवादी के सेंट्रल कमेटी सदस्य अरविंद जी का नजदीकी भी था. वह एमबीए किया हुआ था. माओवादी बनने से पहले वह पटना के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाता भी था.
पिछले ढाई साल से वह झारखंड के पलामू, लातेहार, गुमला व सिमडेगा जिला में सक्रिय था. उसे टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी थी. लैंड माइन लगाने और विस्फोट करने में माहिर था. आशीष के बारे में पुलिस को वर्ष 2015 में तब जानकारी मिली थी, जब पतरातू से माओवादी नेता शिव प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था.
डीजीपी ने जवानों को दिये थे चार लाख
मुठभेड़ की घटना के दूसरे दिन डीजीपी डीके पांडेय समेत पुलिस मुख्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे. डीजीपी डीके पांडेय ने घटनास्थल पर ही मुठभेड़ में शामिल जवानों के बीच चार लाख रुपये इनाम बांटा था.
इनामी नक्सलियों की सूची में नहीं था नाम
आशीष यादव को पुलिस ने जब मार गिराया था, उस वक्त सरकार द्वारा घोषित इनामी नक्सलियों की सूची में उसका नाम नहीं था. इतना ही नहीं उसके खिलाफ बिहार या झारखंड के किसी भी थाने में एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं थी. पुलिस के पास सिर्फ यह जानकारी थी कि वह संगठन में सैक सदस्य है. इसी आधार पर पुलिस अधिकारियों ने उस वक्त यह बयान भी दिया था कि वह 25 लाख रुपया का इनामी है. यह राशि मुठभेड़ में शामिल जवानों को मिलेगी.
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