रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों का नैक से मूल्यांकन नहीं कराये जाने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उनको अनुदान देने के मामले व उनकी संबद्धता पर पुनर्विचार करेगा. यूजीसी ने झारखंड के 13 विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है.
इसमें से छह विश्वविद्यालयों की स्थापना के छह वर्ष पूरे नहीं हुए हैं. छह वर्ष पूरे होते ही उन्हें नैक से मूल्यांकन कराने के लिए आवेदन देना होगा. अन्य विवि/संस्थान जिनकी स्थापना के छह वर्ष से अधिक हो गये हैं, वे भी नैक से मूल्यांकन कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे. यूजीसी द्वारा जारी सूची के मुताबिक झारखंड में बीआइटी मेसरा की स्थापना 1955 में हुई.
उसने नैक से मात्र एक बार मूल्यांकन कराया. संस्थान को बी प्लस ग्रेड भी मिला. सितंबर 2008 में इसकी अवधि समाप्त हो गयी है, लेकिन अभी तक मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं किया गया है. इसी प्रकार बिरसा कृषि विवि की स्थापना 1980 में हुई है, लेकिन एक बार भी मूल्यांकन नहीं किया गया है.
इसी प्रकार इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद की स्थापना नौ दिसंबर 1926 में हुई, लेकिन अब तक आवेदन भी नहीं दिया है. रांची विवि ने आवेदन दिया है, इसका मूल्यांकन जून/जुलाई 2014 तक संभव है. विनोबा भावे विवि (1993), सिदो-कान्हू मुरमू विवि (1992), केंद्रीय विवि (2009), झारखंड राय विवि (2011), कोल्हान विवि (2009), नीलांबर-पीतांबर विवि (2009), नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (2011), साईंनाथ विवि (2012) व इक्फाइ विवि (2008) ने मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं किया है.