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वोट से बदल सकती है सरकार और व्यवस्था

रघुवर दास मुख्यमंत्री, झारखंड हम 2016 को विदा कर वर्ष 2017 में प्रवेश कर गये हैं. मैं सभी राज्यवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. नववर्ष की शुरुआत एक ऐसा समय होता है, जब हम अतीत में झांकते हैं और भविष्य की ओर देखते हैं. मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं, जिन्होंने […]

रघुवर दास मुख्यमंत्री, झारखंड
हम 2016 को विदा कर वर्ष 2017 में प्रवेश कर गये हैं. मैं सभी राज्यवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. नववर्ष की शुरुआत एक ऐसा समय होता है, जब हम अतीत में झांकते हैं और भविष्य की ओर देखते हैं. मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं, जिन्होंने सन 1974 के छात्र आंदोलन से लेकर अलग राज्य तक के परिवर्तन को न केवल देखा है, बल्कि अपनी भागीदारी भी निभायी है. एक छात्र के रूप में 1974 आंदोलन में हिस्सा लिया था. तब मैंने यह नहीं सोचा था कि मुझ जैसा साधारण व्यक्ति, जमशेदपुर (भालूवासा) के मजदूर के बेटे को सीएम के रूप में राज्य की सेवा करने का मौका मिलेगा. यह भारत के लोकतंत्र की शक्ति की विशेषता है. जागरूक लोगों ने 2014 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव में बहुमत की सरकार बनायी. स्वार्थ की राजनीति करनेवाले दलों और नेताओं को सबक सिखाने का काम किया. लोगों ने सरकार बदल दी. पहले अपोजिशन में बैठता था, अब शासन चलाने की जिम्मेदारी मिल गयी. वोट से सरकार बदल सकती है. वोट का अगर हम ठीक तरह से उपयोग करें, तो हमारी व्यवस्था भी बदल सकती है. अलग राज्य बनने के बाद राज्य की जो तसवीर उभरी, वह बहुत अच्छी नहीं है. मैं यह नहीं कहता कि 14 सालों में कुछ नहीं हुआ. ऐसा कहना राज्य के लोगों के साथ अन्याय होगा, लेकिन यह शिकायत जरूर है कि जितना काम होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ और जिस ढंग का काम होना चाहिए था, वैसा भी नहीं हुआ. कारण राजनीतिक अस्थिरता. इस समय झारखंड के सामने दो बड़ी चुनौतियां है़ं पहला-अवसर का उपयोग कैसे करें और दूसरा-प्राकृतिक संसाधन का इस्तेमाल कैसे करें.
कोयला झारखंड में, बिजली बाहर से?
हमारा राज्य गरीब नहीं है. हमारे पास प्राकृतिक संसाधन है. धन-संपदा है. भू-संपदा है. सामर्थ्यवान, मेहनतकश महिलाएं, पुरुष और किसान हैं, लेकिन हम उसका सही इस्तेमाल कर समृद्धि की ओर नहीं जा पा रहे हैं. इसलिए हम अवसर खोते जा रहे हैं, हमें इस चुनौती का मुकाबला करना है. कोयला झारखंड में और बिजली बाहर से लाना पड़े, यह कोई विजन है क्या? यदि आज से वर्षों पहले कोयला यहां से बाहर ले जाने के बजाय जहां कोयला है, वहीं बिजली बनती, तो आज सारे देश को बिजली देते.
हिंदुस्तान को उजाला देने की ताकत
अगर ठीक से हम योजनाएं बनायें, तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आर्थिक स्थिति के बारे में हमारा राज्य दुनिया के समृद्ध देशों के समकक्ष हो सकता है. झारखंड में पूरे हिंदुस्तान को उजाला देने की ताकत है, लेकिन आज हमारे झारखंड में 70 वर्ष की आजादी के बाद भी 68 लाख घरों में से 30 लाख घर अंधेरे में डूबे हैं. पेयजल की भी वही स्थिति है. हमारी सरकार बनने के बाद हमने गति बढ़ायी है, हमने लक्ष्य तय किये हैं.
घिसे-पिटे वादों से बदलाव नहीं आता
बदलाव घिसे-पिटे वादों से नहीं आता है. यह आता है तार्किक सोच से, प्रक्रिया के सरलीकरण से, नियंत्रण और संतुलन प्रणालियों की स्थापना करने से तथा परिवर्तन स्वीकार करने के लिए कार्यान्वित कर्ता एजेंसी की मानसिकता तैयार करने से. उसी का परिणाम है, झारखंड बदल रहा है, विकास की ओर उन्मुख है.
विकास का टेंट सिंगल पिलर पर खड़ा नहीं कर सकते
वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग में झारखंड टॉप टेन राज्यों में 7वें स्थान पर है. दो वर्ष पूर्व 27 वें स्थान पर था. अगर राज्य का विकास चाहिए तो, यहां के लोगों का विकास जरूरी है. विकास का टेंट सिंगल पिलर पर खड़ा नहीं कर सकते. इसलिए हमे पूरे डेवलपमेंट मॉडल को पांच आधार पर डेवलप करना है- कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र, पर्यटन और लघु और कुटीर उद्योग क्षेत्र. इन पांचों क्षेत्रों में समग्र विकास के जरिये राज्य का विकास किया जा सकता है.
मेरे जीवन कार्य का केंद्र बिंदु है गरीब आदमी
हमारी भारतीय संस्कृति में कल्याण राज्य का आदर्श हमेशा से रहा है. मेरे शासन का अधिष्ठान ऐसा ही कल्याणकारी राज्य है. मेरे जीवन कार्य का केंद्रबिंदु हमेशा समाज का निम्न और गरीब आदमी रहा है. इन वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर उन्हें विकसित समाज की श्रेणी में लाना है.
अब सजग हो रहा आदिवासी समाज
सदियों से हमारी संस्कृति को संभालकर रखनेवाला, आजादी की लड़ाई में बलिदान देनेवाला, राज्य की प्रगति में पसीना बहानेवाला आदिवासी समाज विकास की दौड़ में सम्मिलित होने में अब सजग हो रहा है. पिछले 60 वर्षों के अनुभव से हमारे आदिवासी भाई-बंधुओं ने बहुत कुछ सीखा है. विगत 70 वर्षों की योजनाओं और वायदों के परिणाम देखने के बाद हमें मानना पड़ेगा कि मात्र संविधान के अनुसार, अनुसूचित जनजाति के उत्कर्ष के लिए उत्तरदायित्वों को पूरा करने से इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं. इस यथार्थ सत्य को स्वीकार कर झारखंड की विकास यात्रा में आदिवासी बंधु सक्रिय सहयोगी बने, विकास के हकदार बने और उज्ज्वल परिणाम प्राप्त करें, ऐसा स्वप्न साकार करने का हमारा संकल्प है. इसलिए सरकार एसटी एवं एससी के लिए अलग से बजट पेश करेगी.

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