16.5 लाख ग्रामीण उपभोक्ताओं को सस्ते दरों पर एलइडी बल्ब उपलब्ध कराये गये. सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा से विद्युत आपूर्ति करने पर काम चल रहा है. खूंटी व्यवहार न्यायालय के अलावा कई जिलों के उपायुक्त कार्यालयों में सोलर लाइट के द्वारा ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है. पीपीपी मॉडल पर सोलर ऊर्जा प्लांट लगाने पर काम हो रहा है. मुख्यमंत्री ने दिसंबर, 2017 तक राज्य के सभी पंचायतों के घरों में बिजली कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य दिया है.
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दो सालों में सूबे के 2525 गांवों तक पहुंची बिजली
रांची: रघुवर सरकार के कार्यकाल में राज्य में बिजली की व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया गया है. पिछले दो वर्षों में 2525 गांवों का विद्युतिकरण किया गया. जेना मोड़, जसीडीह, खूंटी, सरिया, गढ़वा और चतरा में ग्रिड सब स्टेशन व संचरण लाइन का निर्माण किया गया. ज्योति मिशन 2016 के तहत सरकार ने 400 करोड़ […]
रांची: रघुवर सरकार के कार्यकाल में राज्य में बिजली की व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया गया है. पिछले दो वर्षों में 2525 गांवों का विद्युतिकरण किया गया. जेना मोड़, जसीडीह, खूंटी, सरिया, गढ़वा और चतरा में ग्रिड सब स्टेशन व संचरण लाइन का निर्माण किया गया. ज्योति मिशन 2016 के तहत सरकार ने 400 करोड़ रुपये खर्च कर दो माह के अंदर ही 5480 ट्रांसफार्मर बदल डाले.
60 फीसदी गांवों तक अब भी नहीं पहुंची है बिजली : झारखंड में सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र एवं आदिम जनजाति बहुल क्षेत्रों में विद्युतीकरण का कार्य अब तक नहीं हो सका है. झारखंड के 60 फीसदी गांवों में अब तक बिजली नहीं पहुंची है. राज्य में ग्रामीण घरों की कुल संख्या 46.85 लाख है. इसमें से 15.14 लाख घरों में ही बिजली पहुंचाई जा सकी है. राज्य के 409 गांवों के आसपास कोई ट्रांसमिशन लाइन नहीं है. झारखंड बिजली वितरण निगम का दावा है कि गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. पोल, तार एवं ट्रांसफॉर्मर लगाने का काम एक साथ शुरू किया गया है. पर, कुछ परेशानियां भी हैं. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बिजली की व्यवस्था करना चुनौती है.
बिजली सुधारने का हो रहा है प्रयास : सरकार राज्य में बिजली की व्यवस्था पुख्ता करने पर काम कर रही है. शहरों में जीरो पावर कट के साथ अगले वर्ष के अंत तक सभी पंचायतों तक बिजली पहुंचाने पर काम किया जा रहा है. वर्तमान में बिजली के लिए सरकार की मुख्य निर्भरता तेनुघाट विद्युत निगम पर ही है. इसकी क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने जीर्णोद्धार कराने का फैसला लिया गया है. पतरातू थर्मल पावर को एनटीपीसी को दे दिया गया है. वहीं, बिजली कंपनी में हो रहे घाटे को दूर करने के लिए ठोस नीति बनायी गई है.
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