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मानव तस्करी: तस्करों को सजा दिलाने में पुलिस फेल, 172 केस में सिर्फ आठ को मिली सजा

रांची: वर्ष 2015 में झारखंड पुलिस सिर्फ आठ मानव तस्करों को सजा दिला पायी. वर्ष 2015 में विभिन्न थानों में मानव तस्करी के 172 मामले दर्ज किये गये, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 63 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया. जिसमें सिर्फ छह मामलों में अदालत ने अभियुक्तों को सजा दी. 172 मामलों में पुलिस के […]

रांची: वर्ष 2015 में झारखंड पुलिस सिर्फ आठ मानव तस्करों को सजा दिला पायी. वर्ष 2015 में विभिन्न थानों में मानव तस्करी के 172 मामले दर्ज किये गये, लेकिन पुलिस ने सिर्फ 63 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया. जिसमें सिर्फ छह मामलों में अदालत ने अभियुक्तों को सजा दी. 172 मामलों में पुलिस के द्वारा 89 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 74 लोगों को खिलाफ पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की, लेकिन सिर्फ आठ लोगों को अदालत में सजा दिला पायी.

पुलिस के सीनियर अफसर के मुताबिक मानव तस्करी जैसे गंभीर मामलों में अभियुक्तों को सजा नहीं मिलना गंभीर बात है. इससे साफ होता है कि पुलिस ने न तो सही तरीके से अनुसंधान किया और न ही अदालत में तथ्यों को गंभीरता से रखा. मानव तस्करी के खिलाफ काम करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता बैजनाथ के मुताबिक उन्होंने सीआइडी को 240 प्लेसमेंट एजेंसियों और इसकी आड़ में मानव तस्करी करनेवाले लोगों की सूची सौंपी थी. उन सभी प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. झारखंड पुलिस कार्रवाई करने के लिए दिल्ली पुलिस को चिट्ठी लिख देती है, क्योंकि प्लेसमेंट एजेंसी दिल्ली में है. मानव तस्करी के आरोप में जो पकड़े गये, उनके खिलाफ भी जांच में कोताही बरती गयी. जिस कारण सभी अदालत से छूटते चले गये.
जमानत पर छूट गया पन्ना लाल
मानव तस्करी के आरोपी पन्ना लाल को पुलिस ने वर्ष 2015 में दिल्ली से गिरफ्तार किया था. तब पुलिस ने दावा किया था कि पन्ना लाल झारखंड का सबसे बड़ा मानव तस्कर है. झारखंड की युवतियों को वह दिल्ली ले जाकर घरेलू काम में लगाने और बेचने का काम करता है. उसके खिलाफ खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लातेहार में प्राथमिकी दर्ज थे. पुलिस ने तब बताया था कि पन्ना लाल ने 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति अर्जित की है. पुलिस उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं जुटा पायी और उसे अदालत से जमानत मिल गयी.

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