नयी दिल्ली : झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, झारखंड विकास मंच सहित विभिन्न विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि जनजातीय भूमि अधिग्रहण संबंधी दो विवादित विधेयकों को मंजूरी नहीं दें. ये दोनों विधेयक विधानसभा में पारित हो चुके हैं. झारखंड विधानसभा ने पिछले महीने 108 साल पुराने छोटानागपुर टेनेंसी कानून और संताल परगना टेंनेंसी कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी.
प्रतिनिधिमंडल में झामुमो प्रमुख शिबू सोेरेन, उनके पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मंत्री सुबोध कांत सहाय के अलावा विभिन्न दलों के कई विधायक और सांसद शामिल थे. उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि संशोधनों के प्रावधान वाले विधेयक बिना चर्चा के विधानसभा में पारित किए गए.
राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि इन विधेयकों से राज्य सरकार को गैर कृषि भूमि को कृषि भूमि घोषित करने के लिए व्यापक शक्ति मिल जाएगी. इसमें कहा गया है कियह विधेयक लोगों की आकांक्षाओं के खिलाफ हैं क्योंकि यह उस कानून को कमजोर बनाता है जो जनजातीय लोगों के संरक्षण सेजुड़ा हुआ है. शिबू सोरेन ने कहा कि दोनों कानूनों को कमजोर किए जाने का झारखंड के गरीब आदिवासी लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा.