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कैश मांग रहे हैं निजी अस्पताल

ये हाल. केंद्र व राज्य सरकार के आदेशों का नहीं हो रहा पालन नोटबंदी के बार केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी जोर-शोर से कैशलेस मुहिम चला रही है. इसके तहत निजी अस्पतालों को भी क्रेडिट और डेबिट कार्ड से पेमेंट लेने का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार के निर्देश पर कई अस्पतालों […]

ये हाल. केंद्र व राज्य सरकार के आदेशों का नहीं हो रहा पालन
नोटबंदी के बार केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी जोर-शोर से कैशलेस मुहिम चला रही है. इसके तहत निजी अस्पतालों को भी क्रेडिट और डेबिट कार्ड से पेमेंट लेने का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार के निर्देश पर कई अस्पतालों में स्वाइप मशीनें लगायी गयी हैं. हालांकि, मरीजों के परिजनों से कहा जा रहा है कि वे कैश में ही भुगतान करें, तो बेहतर होगा. इससे परेशानी हो रही है, लेकिन किसी भी स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो रही है.
रांची : राजधानी के निजी अस्पतालों में इलाज कराना है, तो नगद पैसा लेकर जायें. नोट भी दो हजार और पांच सौ का होना जरूरी है. क्योंकि ज्यादातर अस्पतालों में चेक, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से पेमेंट नहीं लिया जा रहा है. निजी अस्पतालों में मरीजों के भरती होने से लेकर उनकी छुट्टी होने तक नगद भुगतान को पहली प्राथमिकता दी जा रही है. एकाध अस्पताल में ही चेक से पेमेंट लिया जा रहा है.
नोटबंदी की वजह से आमलोग सप्ताह में सिर्फ 24 हजार रुपये की ही निकासी कर सकते हैं. ऐसे में मेडिकल बिल और अन्य जांच का भुगतान करने में लोगों को दिक्कत हो रही है. मरीजों के इलाज के अनुरूप अस्पताल प्रबंधन एडमिशन अग्रिम के रूप में नगद भुगतान ले रहे हैं.
आॅर्किड : नहीं चल रही मशीन, कैश मांग रहे
आॅर्किड मेडिकल अस्पताल में भरती मरीजों से इलाज की फीस फिलहाल कैश में ही ली जा रही है. कार्ड से पैसा लेने की बात की जाती है, लेकिन अक्सर यहां नेटवर्क नहीं हाेने की बात कही जाती है. मरीजों के परिजन जब चेक से पैसा देने की बात करते है, तो कर्मचारी कहते हैं कि हमें ऊपर से आदेश है कि चेक से पैसा नहीं लेना है. रविवार को ही काफी देर तक नेटवर्क नहीं होने की बात कही गयी, जिससे मरीजों को पैसा जमा करने में परेशानी हुई.
सेंटेविटा : चेक के नाम पर मना कर देतेहैं कर्मचारी
सेंटेविटा अस्पताल में कार्ड से पेमेंट करने में परेशानी नहीं है, लेकिन यहां भी कैश पेमेंट पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. जब परिजन चेक से पैसा देने की बात करते हैं, तो कर्मचारी साफ मना कर देते हैं. कर्मचारी अस्पताल प्रबंधन के निर्देश का हवाला देते हैं. रविवार को कुछ मरीजों के परिजनों ने चेक से पैसा देने की इच्छा जाहिर की, लेेकिन कैश काउंटर के कर्मचारियों ने उनका पैसा नहीं लिया गया. ऐसे परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
सेवा सदन : स्वाइप मशीन है, पर चलाने नहीं आता
सेवा सदन अस्पताल में स्वाइप मशीन की सुविधा शुरू तो की गयी है, लेकिन यहां के कर्मचारियों को इसे चलाना नहीं आता है. ऐसे में जो मरीज के परिजन कार्ड से पेमेंट करना चाहते हैं, तो उन्हें कैश देने के लिए कहा जाता है. रविवार को जब काउंटर संख्या तीन में एक परिजन पैसा जमा करने गये, तो महिला कर्मचारी ने कहा कि कार्ड से पैसा जमा होयेगा. लेकिन बाद में उसने कहा कि कैश है तो दे दीजिए, क्योंकि अभी हमलोगों को उतना पता नहीं है.
रानी अस्पताल : कांउटर पर नहीं है स्वाइप मशीन
रानी अस्पताल के कैश काउंटर पर स्वाइप मशीन नहीं रखी गयी है. परिजन जब कार्ड से पैसा जमा करने के लिए कहते हैं, तो कर्मचारी सवालों की बौछार करने लगते हैं. आपका मरीज कहां भरती है? कितना पैसा जमा करना है? ज्यादा देना है तो बात करिये. जब परिजन कहते हैं कि कार्ड से पैसा लीजियेगा कि नहीं? तो कहा जाता है कि फर्स्ट फ्लोर चलीये, वहां स्वाइप मशीन है. चेक से पैसा देने की बात करने पर कर्मचारी साफ इनकार कर देते हैं. उनका कहना है कि प्रबंधक ने कहा कि चेक से पैसा नहीं लेना है.
गुरुनानक : नगद व चेक भुगतान की है सुविधा
यहां पर नगद के साथ-साथ चेक भुगतान भी लिया जा रहा है. डेबिट कार्ड से भुगतान करने की सुविधा अंतिम विकल्प के रूप में रखी गयी है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से नये नोट ही स्वीकार करने की हिदायत कैश काउंटर पर दे रखी है. यहां पर आनेवाले मरीजों से शुरू में 10 से 15 हजार रुपये का एडवांस लिया जा रहा है. लोहरदगा से आये शंकर उरांव ने बताया कि उनके पास डेबिट कार्ड नहीं था, तो उनसे कैश ही लिये गये. अभी भी उनके बेटे का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
मेडिका : परिजनों से मांगा जा रहा पोस्ट डेटेड चेक
मेडिका अस्पताल में मरीजों को पहले इलाज व बाद में पैसा देने की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. परिजनों तुरंत चेक देने व बाद की तिथि पोस्ट डेटेड चेक (पीडीसी) चेक देने काे कहा जा रहा है. इसके अलावा कार्ड से पेमेंट करने की सुविधा भी मरीजों को दी गयी है. हालांकि, अस्पताल कर्मचारियों द्वारा परिजनों को पहले कैश भुगतान कराने का ही प्रयास किया जाता है, लेकिन जब मरीज कैश की समस्या की बात कहता है तो चेक या कार्ड से पैसा देने की बात कही जाती है.
अस्पताल में कार्ड से पैसा लिया जा रहा है. कर्मचारी पूछते हैं कि आप कैसे पैसा देंगे? जो कैश नहीं देता है, उसे कार्ड से पैसा देने के लिए कहा जाता है.
महेंद्र कुमार ठाकुर
हम तो कार्ड से ही पैसे दे रहे हैं. हम लोगों को भी आसानी हो गयी है कि एटीएम में लाइन नहीं लगना पड़ रहा है. चेक की सुविधा भी होनी चाहिए.
संजय सिंह
मरीज भरती है उसका टेंशन है ही, कार्ड से पैसा नहीं लिया जाता, तो और परेशानी होती है. पहले तो कर्मचारी कैश लेना चाहते हैं, लेकिन कार्ड दिखाने पर भी पैसा लिया जा रहा है.
सुरेंद्र कुमार
यह अच्छी बात है कि कार्ड से अस्पताल में पैसा लिया जा रहा है. चेक से भी पैसा लेना चाहिए, क्योंकि चेक बाउंस हाेने पर जुर्माना लगता है. हम लोग तो पैसा ले कर भागेंगे नहीं.
रणधीर कुमार गुप्ता

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