उल्लेखनीय है कि एडीजी जैप रेजी डुंगडुंग ने 14 नवंबर को डीजीपी को पत्र लिख कर भी इसकी अनुशंसा की है. साथ ही जवानों के इलाज के लिए कई सुझाव दिये हैं. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उसे लागू करने की मांग की है. प्रतिनिधि मंडल में एसोसिएशन के महामंत्री रमेश उरांव, उपाध्यक्ष राकेश पांडेय, देवचरण मुंडा, संगठन महामंत्री वैभव पाठक, आरमोर्रर प्रतिनिधि मो रहमान आदि शामिल थे. ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस लाइन व जैप के मुख्यालय में बनाये गये अस्पतालों को चालू कराया जाये. हजारीबाग स्थित आरक्षी बाल विद्यालय को दुरुस्त कर उसमें पढ़ाई की व्यवस्था की जाये. साथ ही रांची में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का विद्यालय खोला जाये.
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अफसरों की तरह मिले इलाज की सुविधा
रांची: झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मिल कर सिपाही-हवलदार की मांगों के लेकर ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गयी है कि आइपीएस की तरह ही सिपाहियों के लिए भी इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जाये. अभी जो व्यवस्था है, वह जटिल है. समय पर मदद नहीं मिलने के कारण […]
रांची: झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मिल कर सिपाही-हवलदार की मांगों के लेकर ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गयी है कि आइपीएस की तरह ही सिपाहियों के लिए भी इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जाये. अभी जो व्यवस्था है, वह जटिल है. समय पर मदद नहीं मिलने के कारण पुलिसकर्मियों को इलाज में परेशानी होती है.
उल्लेखनीय है कि एडीजी जैप रेजी डुंगडुंग ने 14 नवंबर को डीजीपी को पत्र लिख कर भी इसकी अनुशंसा की है. साथ ही जवानों के इलाज के लिए कई सुझाव दिये हैं. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने उसे लागू करने की मांग की है. प्रतिनिधि मंडल में एसोसिएशन के महामंत्री रमेश उरांव, उपाध्यक्ष राकेश पांडेय, देवचरण मुंडा, संगठन महामंत्री वैभव पाठक, आरमोर्रर प्रतिनिधि मो रहमान आदि शामिल थे. ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस लाइन व जैप के मुख्यालय में बनाये गये अस्पतालों को चालू कराया जाये. हजारीबाग स्थित आरक्षी बाल विद्यालय को दुरुस्त कर उसमें पढ़ाई की व्यवस्था की जाये. साथ ही रांची में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का विद्यालय खोला जाये.
पदाधिकारियों को पूरी राशि व सिपाहियों को 750 रुपये : पदाधिकारियों ने सीएम को इस बात की जानकारी भी दी है कि एसीबी, स्पेशल ब्रांच और सीआइडी में पदस्थापित कनीय पदाधिकारियों को वरदी भत्ता के रूप में जिले की तरह ही 45 सौ रुपये मिलते हैं. सिपाही व हवलदार को सिर्फ 750 रुपये दिये जाते हैं, जबकि जिले में 4000 रुपये मिलते हैं. इसलिए पदाधिकारियों की तरह ही सिपाही-हवलदार को भी जिले की तरह वरदी भत्ता के रूप में 4000 रुपये दिये जायें. साथ ही यह भी मांग की गयी कि 4000 रुपये में दो सेट खाकी वरदी, एक ऊनी वरदी, जूता, बुट, हंटर सू, बेल्ट, टोपी, कंबल आदि की खरीदारी संभव नहीं है. इसलिए 4000 रुपये को बढ़ा कर 10 हजार रुपये सालाना किया जाये.
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