रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश बीके तिवारी की अदालत ने बुधवार को पूर्व मंत्री हरिनारायण राय, उनकी पत्नी सुशीला देवी और भाई संजय राय को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में पांच-पांच साल की सजा सुनायी है. तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की रकम नहीं चुकाने पर छह माह अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.
अदालत ने पाया दोषी : हरिनारायण राय पर मार्च 2005 से 2009 तक 1,46,25,354 रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप था. मामले में पीसी एक्ट की धारा 13(1)(इ) व भादवि की धारा -109 की तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. 2012 में चार्जशीट दाखिल की गयी थी. अदालत ने उन्हें इन धाराओं में दोषी माना.
कोर्ट में मौजूद थे सभी : बुधवार को अदालत की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही पूर्व मंत्री हरिनारायण राय, उनकी पत्नी सुशीला देवी व भाई संजय राय अदालत में अपने अधिवक्ता विद्युत चौरसिया के साथ मौजूद थे. बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विद्युत चौरसिया ने अदालत में कहा कि हरिनारायण राय की पत्नी और भाई को उनकी संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं है. पत्नी गृहणी है, उन्हें उनकी आय के संबंध कोई जानकारी भी नहीं है़ इसलिए उनकी सजा माफ कर दी जाये. सीबीआइ की ओर से लोक अभियाेजक ने कहा कि गलत तरीके से आय से अधिक संपत्ति अर्जित की गयी है. इसलिए अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये, ताकि राजनेता सहित आम लोग भी इससे सबक ले़ं
सजा पूरी होने के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पायेंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में वर्ष 2010 में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 में संशोधन किया गया है. इस प्रावधान के तहत अगर किसी जन प्रतिनिधि को दो वर्ष या उससे अधिक की सजा सुनायी जाती है, तो उनकी सदस्यता समाप्त हो जाती है. नये प्रावधान के तहत हरिनारायण राय सजा पूरी होने के बाद अगले छह वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. इस मामले में हरिनारायण राय तीन साल चार माह तक सजा काट चुके हैं.
तीन साल चार माह की सजा काट चुके हैं हरिनारायण
जनवरी 2009 में निगरानी (अब एसीबी) की अदालत में आय से अधिक संपत्ति को लेकर शिकायतवाद दर्ज करायी गयी थी. इसमें हरिनारायण राय सहित कई पूर्व मंत्रियों को आरोपी बनाया गया था. अदालत ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था़ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पूर्व मंत्री हरिनारायण राय व एनोस एक्का ने 17 अगस्त 2009 को निगरानी अदालत में सरेंडर कर दिया था़ अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था. हाइकोर्ट के आदेश पर 11 अगस्त 2010 सीबीआइ ने मामले को अपने हाथ में ले लिया था. मामले में हरिनारायण राय तीन साल चार माह की सजा काट चुके है़ं उनके भाई व पत्नी भी चार-चार माह की सजा काट चुके हैं.