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आप ब्राइट कंपनी के लिए काम कर रहे हैं या निगम के लिए ?

शहर में स्ट्रीट लाइटों के मेंटेनेंस का काम देख रही एजेंसी ब्राइट न्यून को लेकर रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा और नगर आयुक्त प्रशांत कुमार आमने-सामने आ गये हैं. मेयर ने आरोप लगाया था कि एजेंसी नगर निगम को सालाना सात करोड़ रुपये का चूना लगा रही है. इस पर उन्होंने नगर आयुक्त […]

शहर में स्ट्रीट लाइटों के मेंटेनेंस का काम देख रही एजेंसी ब्राइट न्यून को लेकर रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा और नगर आयुक्त प्रशांत कुमार आमने-सामने आ गये हैं. मेयर ने आरोप लगाया था कि एजेंसी नगर निगम को सालाना सात करोड़ रुपये का चूना लगा रही है. इस पर उन्होंने नगर आयुक्त से जवाब भी मांगा था. नगर आयुक्त ने जवाब में एजेंसी को क्लीन चिट देते हुए मेयर के आरोपों को ही तथ्यहीन बताया. अब मेयर ने नगर आयुक्त की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं.
रांची: नगर आयुक्त प्रशांत कुमार को भेजे जवाबी पत्र में मेयर आशा लकड़ा ने लिखा है कि आपने जो जवाब दिया है, उसमें सिर्फ एजेंसी ब्राइट न्यून के बचाव में ही तर्क दिये गये हैं. हमने मामले की जांच को कहा था, जबकि उलटे हमसे ही तथ्य मांगे जा रहे हैं.
पत्र में मेयर ने नगर आयुक्त से पूछा है कि अगर अापने ब्राइट कंपनी के कार्यों की जांच की है, तो वे बतायें कि इस जांच कमेटी में कौन-कौन थे? इस कमेटी ने शहर में कहां-कहां जांच की? जांच रिपोर्ट में इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गयी है. मेयर ने लिखा है कि नगर आयुक्त के कार्यों से ऐसा लगता है कि वे रांची नगर निगम का नहीं, बल्कि ब्राइट न्यून का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मेयर ने कई अन्य सवालों के जवाब भी मांगे हैं. साथ ही निर्देश दिये हैं कि इन सवालों के जवाब घुमा-फिरा कर नहीं, बल्कि सीधे शब्दों में दिये जायें.
मेयर ने क्या-क्या लिखा है पत्र में
सूर्या कंपनी द्वारा शहर में कितनी स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी हैं?
इन लाइटों का मेंटेनेंस कौन करे, जिससे निगम के राजस्व में वृद्धि हो?
जब लाइट लगाते समय यह शर्त थी की पांच सालों तक सूर्या कंपनी को इन लाइटों का मेंटेनेंस करना है, तो फिर इन लाइटों के मेंटेनेंस की जिम्मेवरी ब्राइट न्यून को क्यों दे दी गयी है?
जब सूर्या कंपनी को ही इन लाइटों को पूरा मेंटेनेंस करने का जिम्मा मिला है, तो फिर टाइमर केबलिंग का कार्य ब्राइट न्यून को किस आधार पर दे दिया गया है?
टाइमर-केबलिंग का कार्य सौंपने के पीछे कहीं होर्डिंग लगाने का खेल तो नहीं है. अगर ऐसा नहीं है तो यह कार्य ब्राइट को क्यों सौंपा गया?
एलइडी लाइट लगाने के दौरान सात हजार सोडियम वैपर लाइटों को खंभे से उतारा गया है. वे लाइटें किनके आदेश पर कहां-कहां लगायी गयी हैं? इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. इसकी विस्तृत जानकारी दी जाये.
फिलिप्स कंपनी द्वारा भी शहर में एलइडी लाइट लगायी गयी है. परंतु फिलिप्स को किस प्रक्रिया के तहत यह काम सौंपा गया था, फिलिप्स के साथ हुए एकरारनामा की कॉपी हमें मांगने पर भी उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. आखिर इसकी क्या वजह है?
ब्राइट न्यून को फायदा पहुंचाने के लिए पांच अक्तूबर को बिना किसी टेंडर के खादगढ़ा बस स्टैंड समेत शहर के आठ प्रमुख चौक-चौराहे का काम देने का आदेश जारी किया गया. यह गलत है.
सचिव बतायें, फाइल उप महापौर के पास जाये या नहीं?
रांची. रांची नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी व बोर्ड की बैठकों में फाइल का मूवमेंट किस प्रकार से हो, इसको लेकर मेयर आशा लकड़ा ने नगर विकास सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में मेयर ने लिखा है कि तत्कालीन नगर विकास सचिव नितिन कुलकर्णी ने पूर्व में नगर निकायों को पत्र भेजा था. जिसमें लिखा है कि नगरपालिका अधिनियम 2011 के आलोक में नगर निकायों की संचिका के मूवमेंट की प्रक्रिया सरल एवं स्पष्ट की गयी है. इसके अनुसार स्टैंडिंग कमेटी अथवा बोर्ड की बैठक से संबंधित संचिका उपमहापौर या उपाध्यक्ष के माध्यम से महापौर या अध्यक्ष के पास भेजी जा सकती है. श्री कुलकर्णी के दिये गये इस आदेश पर मेयर ने कहा कि नगरपालिका अधिनियम 2011 में ऐसा कहीं पर उल्लेख नहीं है कि बोर्ड अथवा स्टैंडिंग कमेटी की फाइल उपमहापौर या उपाध्यक्ष से होते हुए महापौर या अध्यक्ष के पास भेजी जाये. मेयर ने सचिव से यह कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई बार अधिनियम का अध्ययन किया. कई विशेषज्ञों से भी राय ली, लेकिन किसी ने स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दी. इसलिए आप ही इस पर अपनी राय दें.

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