रांचीः झालको प्रबंध पर्षद की अनुमति के बिना 12 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों का पदस्थापन जल संसाधन विभाग में कर दिया गया है. महालेखाकार ने इसे वित्तीय अनियमितता मानते हुए अपनी रिपोर्ट में इसे 70 लाख रुपये की गड़बड़ी का मामला बताया है. जनवरी 2014 के ऑडिट में महालेखाकार ने कहा है कि झालको कंपनी एक्ट के तहत निबंधित है. यहां के कर्मियों के लिए नियम-कानून बनाने की जिम्मेदारी झालको की थी, पर उसने नहीं बनाया.
राज्य सरकार की नियमावली को स्वीकार कर लिया है. कर्मियों के स्थानांतरण-पदस्थापन का काम झालको बोर्ड से होता है. महालेखाकार ने जांच के दौरान पाया कि 12 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी 2004 से जल संसाधन विभाग में पदस्थापित हैं. इसके लिए बोर्ड की अनुमति नहीं ली गयी है.
पैतृक विभाग ने भी स्थानांतरण और पदस्थापन के लिए वित्त की अनुमति नहीं ली है. महालेखाकार ने झालको के प्रबंध निदेशक के इस काम को अनियमितता की श्रेणी में रखा है. इसे निगम की प्रशासनिक शक्ति में हस्तक्षेप बताया है. एजी ने कहा है कि जून 2013 तक इन कर्मियों पर 69 लाख 82 लाख 639 रुपये का भुगतान हुआ है. इसमें कर्मियों का वेतन तथा भत्ता भी शामिल है.