राज्यपाल को बताया गया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन में सरकार द्वारा गैर कृषि भूमि का उपयोग करने की शक्ति प्रदान की गयी है़ इस तरह व्यक्ति विशेष के पेशा तथा व्यापार पर अंकुश का प्रावधान लाना भारतीय संविधान की धारा 19(आइ)(जी) का उल्लंघन है़ इसके साथ ही राज्यपाल को बताया गया कि संशोधन विधेयक पक्षपातपूर्ण है़ आजसू नेताओं ने संशोधन विधेयक की खामियों की जानकारी देते हुए कहा कि विधेयकों में इस्तेमाल की गयी शब्दावली जैसे ‘मालिकाना हक’, ‘बाजार मूल्य’ तथा ‘मानक दर’ एक्ट में परिभाषित नहीं है और न ही संशोधन विधेयकों में इनकी परिभाषा दी गयी है़ इस तरह की प्रक्रिया से कोई भी कानूनी दस्तावेज त्रुटिपूर्ण साबित होता है़ संशोधित विधेयक में वर्तमान लगान दर से 6000 गुणा तक की वृद्धि करने का प्रावधान है़ .
आजसू नेताओं ने विधानसभा से विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया़ नेताओं ने कहा कि राज्य के गंभीर विषय जिस पर राज्य की 90 प्रतिशत जनता, राज्य सरकार, सहयोगी दल, विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठन अलग-अलग तौर पर अपना पक्ष रख रहे हों, वैसे विषय पर सदन में चर्चा नहीं हुई. मात्र तीन मिनट में विधेयक का पारित हो जाना झारखंड की जनभवना और जन आकांक्षा के विपरीत है़ विपक्ष ने इतने महत्वपूर्ण विषय को विधानसभा में चर्चा से वंचित कर झारखंडी जनमानस को आहत किया है़ किसी भी परिस्थिति में सदन की कुर्सियां तोड़ने या बहस से भागने से इसका हल नहीं हो सकता़ विपक्ष या राजनेता ऐसा कर इस मुद्दों पर खुद को ईमानदार साबित नहीं कर सकते है़ं इसका हल गंभीर प्रयास से होना चाहिए़