रांची: हजारीबाग कोर्ट परिसर में दो जून 2015 को गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद कोर्ट परिसरों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया था. सुशील श्रीवास्तव की हत्या में भी भोला पांडेय गिरोह के अपराधियों ने एके-47 हथियार का इस्तेमाल किया था और कोर्ट परिसर में अंधाधुंध फायरिंग की थी. तीन जून को डीजीपी ने कहा था कि कोर्ट परिसरों की सुरक्षा की समीक्षा होगी और सुरक्षा बढ़ायी जायेगी. ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो. इसके बाद चार जून 2015 को वह हजारीबाग गये. वहां पत्रकारों से बात करते हुए तीन मुख्य घोषणाएं की थी. पहली यह कि सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच होगी.
जांच बोकारो जोन की तत्कालीन आइजी तदाशा मिश्रा करेंगी, ताकि पता चल सके कि चूक कहां से हुई. रांची लौटने के बाद तत्कालीन एडीजी अभियान एसएन प्रधान ने जांच का आदेश भी निकाला. लेकिन आज की तारीख तक न तो जांच हुई और न ही कोई जांच रिपोर्ट मुख्यालय को मिला. डीजीपी ने दूसरी घोषणा यह की थी कि कोर्ट परिसरों की सुरक्षा का ऑडिट किया जायेगा और उच्चस्तरीय सुरक्षा दी जायेगी. ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो.
लेकिन किसी भी कोर्ट परिसर की सुरक्षा का ऑडिट नहीं किया गया, न ही सुरक्षा बढ़ायी गयी. हां, सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद यह जरूर हुआ कि कुछ दिनों तक सभी जिलों के कोर्ट परिसर में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती कर दी गयी. फिर कुछ दिन बाद अतिरिक्त पुलिस बल को हटा लिया गया. डीजीपी ने तीसरी घोषणा यह की थी कि कोर्ट परिसरों में सीसीटीवी कैमरा लगाया जायेगा और हर इंट्री प्वाइंट पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगाया जायेगा. इस घोषणा का पालन भी शायद ही किसी जिला में हुआ.